वाटिनक सिटी, 14 फरवरी, 2013 (एशियान्यूज़) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने बुधवार 13
फरवरी को संत पेत्रुस महागिरजाघर में राखबुध की धर्मविधि के लिये आयोजित यूखरिस्तीय बिलदान
में में प्रवचन देते हुए कहा, "सच्चा शिष्य केवल खुद या जनता की सेवा नहीं करता पर प्रभु
येसु की सेवा करता है।"
विदित हो परंपरागत रूप से राखबुध का मिस्सा रोम के संत
सबीना बसिलिका में सम्पन्न किया जाता रहा है पर इस वर्ष संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के
इस्तीफ़े की घोषणा के बाद इस समारोह के स्थान को बदल दिया गया। राखबुध के यूखरिस्तीय
बलिदान को संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संत पापा रूप में विश्वासियों के लिये अंतिम
मिस्सा माना जा रहा है।
संत पापा ने कहा, "हम ईश्वर की ओर लौटें और उस यात्रा
का साक्ष्य दें जो क्रूस से होकर गुजरती है।"
उन्होंने कहा, "हम जितना कम अपनी
महिमा खोजेंगे उतना हमारा साक्ष्य उतना अधिक प्रभावकारी होगा और हम इस बात को और अधिक
जान पायेंगे कि भलाई करने का पुरस्कार ईश्वर है, उनमें एक होने में है और इस तरह हम अपने
विश्वास की यात्रा करेंगे जो हमें ईश्वरीय शांति प्रदान करेगा और हम एक दिन ईश्वर को
आमने-सामने देख पायेंगे।"
संत पापा ने लोगों से अपील की कि वे ईश्वर की ओर लौटें
क्योंकि यह एक वरदान है यह वरदान है क्योंकि यह ईश्वर का कार्य है और विश्वास का फल
है।
संत पापा ने कहा,"अपने पूरे ह्रदय से वापस लौटने का अर्थ है कि न केवल व्यक्तिगत
मनफिराव हो पर यह सामुदायिक भीहो क्योंकि विश्वास का एक विशिष्ठ पहलु है सामुदायिक जीवन।
ईश्वर हमारे बीच आये ताकि वे अपनी संतान को एकता के एकसूत्र से बाँधे।"
संत पापा
ने कहा कि चालीसाकाल को अच्छी तरह जीन के लिये यह आवश्यक है कि व्यक्ति कलीसियाई एकता
को मजबूत करे, व्यक्तिवादी और प्रतिवादी विचारों और विश्वास के प्रति उदासीन लोगों को
नम्रता से जीते।
संत पापा ने कहा कि सच्चा शिष्य अपनी सेवा नहीं पर ईश्वर की
सेवा नम्र और उदारतापूर्वक करता है।