राँची, 14 फरवरी, 2013 (वीआर, अंग्रेज़ी) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के विशेष राजदूत
कार्डिनल फरनन्दो फिलोनी ने 13 फरवरी को झारखंड के राँची में राखबुध के लिये आयोजित विशेष
यूखरिस्तीय समारोह में हिस्सा लिया। राखबुध की पूजनविधि में हिस्सा लेने वाले ख्रीस्तीय
विश्वासियों को संबोधित कते हुए संत पापा के विशषेष प्रतिनिधि कार्डिनल फिलोनी ने कहा,
"चालीसा का समय ईश्वरीय कृपाओं का समय है। इस समय हमें चाहिये कि हम अपने जीवन को व्यवस्थितकरें
और पापों को पीछे छोड़कर ईश्वर के निकट आयें और उनमें एक नया जीवन प्राप्त करें।" कार्डिनल
फिलोनी ने कहा, "राख का हमारे माथे पर लगाया जाना इस बात की याद दिलाता है कि हम मरणशील
हैं और इसलिये हम पश्चात्ताप करें, उपवास करें और त्याग करें।" उन्होंने कहा कि चालीसाकाल
में वे प्रत्येक दिन पवित्र यूखरिस्तीय बलिदान में हिस्सा लें और मेल-मिलाप संस्कार को
बारंबार ग्रहण करें ताकि विश्वास का यह वर्ष कृपा का वर्ष बने। कार्डिनल फिलोनी ने
कहा कि हमारा जीवन लोगों के लिये सुसमाचार की एक झलक हो ताकि कलीसिया के शत्रु भी हमें
स्वीकार करें और सम्मान दें। भारत के संदर्भ में कोलाकाता की धन्य मदर तेरेसा का
उदाहरण अनुकरणीय है। उन्होंने सन् 1996 ईस्वी में अपने सहयोगियों को लिखे चालीसाकालीन
पत्र में लिखा था "हम अपने जीवन में ईश्वर से दृढ़ता से जुड़े रहें जो प्रार्थना के द्वारा
संभव हो सकता है।" विदित हो कि वेलांकनी में माता मरिया के तीर्थस्थल की 50 वर्षीय
जुबिली और कोन्फेरेन्स ऑफ़ काथलिक बिशप्स ऑफ़ इंडिया (सीसीबीआई) के स्थापना की रजत जयन्ती
के अवसर पर कार्डिनल फिलोनी को संत पापा ने अपना विशेष राजदूत बनाया था। कार्डिनल
फरनन्दो फिलोनी सुसमाचार प्रचार के लिये बनी परमधर्मपीठीय सभा के प्रीफेक्ट हैं।