2013-02-13 12:57:47

संत पापा की धर्मशिक्षा, 13 फरवरी, 2013


वाटिकन सिटी, 13 जनवरी, 2013 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज हम पास्का पर्व की तैयारी करते हुए ईश्वर की ओर लौटने के लिये चालीसा काल आरंभ करते हैं।

चालीसाकाल हमें इस्राएलियों की रेगिस्तान यात्रा और अपने सार्वजनिक जीवन आरंभ करने पूर्व रेगिस्तान में येसु के परीक्षा की याद दिलाता है।

रेगिस्तान वह स्थान है जहाँ व्यक्ति एकांत में ईश्वर से बातें करता, जीवन के अर्थ को समझता और मार्गदर्शन पाता है। यह मनुष्य के लिये प्रलोभन का समय भी होता है।

जब रेगिस्तान में येसु की परीक्षा ली गयी तब उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया कि ईश्वर की इच्छा के प्रति हमारी वफ़ादारी, हमारी सोच और हमारे जीवन को एक ऐसे समय में सही दिशा प्रदान करता है जब दुनिया धर्म के प्रति उदासीन जान पड़ती है।

येसु हमें सदा इस बात के लिये प्रेरित करते हैं कि हम पावेल फ्लोरन्सकी, एत्ती हिलेसुम और दोरोथी डे के समान ईश्वर की ओर लौटें। जिन लोगों को विश्वास का वरदान प्राप्त है उन्हें येसु इस बात के लिये आमंत्रित करते हैं कि वे पूर्ण रूप से अपना मन प्रभु में लगायें।

इस चालीसाकाल में प्रभु हमें आमंत्रित कर रहे हैं ताकि हम उनके प्रेम और उनकी सत्यता के प्रति अपने मन और दिल को खुला रखें।

प्रभु येसु का उदारण हमें प्रलोभनों से बचने में मदद दे और ईश्वर को गले लगाने को प्रेरित करे ताकि हम दुनिया की सब वस्तुओं को ईश्वर की मुक्ति योजना के आलोक में देख सकें।
इतना कहने के बाद उन्होंने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

इसके बाद डेनमार्क, इंगलैंड अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, विद्यार्थियों उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को चालीसाकाल की शुभकामनायें दी।

इसके बाद उन्होंने प्रभु के प्रेम तथा शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।







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