वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
वाटिकन सिटी, 11 फरवरी सन् 2013 (सेदोक): रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण
में, रविवार 10 फरवरी को, भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व, सन्त
पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने देश विदेश से एकत्र तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को सम्बोधित
कर कहाः "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज के धर्मविधिक पाठ में, सन्त लूकस रचित
सुसमाचार हमारे समक्ष, सुसमाचार के दो अन्य सहदर्शियों यानि सन्त मत्ती एवं मारकुस के
मुकाबले, प्रथम शिष्यों की बुलाहट का मूल वृतान्त प्रस्तुत करते हैं, (दे. मत्ती 4,
18-22; मारकुस 1,16-20)। वस्तुतः यह बुलाहट, येसु द्वारा जनसमुदाय को दी गई शिक्षा तथा
प्रभु की इच्छा से सम्पादित मछलियों के पकड़ने के चमत्कार से पहले सम्पन्न हुई। (दे.
लूक 5,1-6)। सन्त पापा ने कहा, "वास्तव में, जबकि जनसमुदाय येसु को सुनने के लिये
गेनेसरेत की झील के किनारे एकत्र हो रहा था तब येसु ने, सारी रात प्रयास करते रहने के
बावजूद कुछ भी न पकड़ पाने के कारण हतोत्साहित, सिमोन को देखा था। पहले वे सिमोन से उनकी
नाव पर चढ़ने के लिये पूछते हैं ताकि झील के किनारे एकत्र जनसमुदाय को सम्बोधित कर सकें;
तदोपरान्त, उपदेश समाप्त कर, उन्हें आदेश देते हैं कि वे नाव गहरे पानी में ले जायें
तथा मछली पकड़ने के लिये जाल डालें (दे. 5,5)। सिमोन येसु की आज्ञा का पालन करते हैं
तथा वे बहुत अधिक मात्रा में मछलियाँ पकड़ते हैं। इस प्रकार, सुसमाचार लेखक दर्शाते हैं
कि किस तरह प्रथम शिष्यों ने येसु पर विश्वास रखते हुए, उनके वचनों पर भरोसा करते हुए
तथा चिन्हों एवं चमत्कारों को देखते हुए उनका अनुसरण किया। हम देखते हैं कि इस चमत्कारी
चिन्ह से पूर्व, सिमोन येसु को "गुरुवर" कहकर सम्बोधित करते हैं (5-5), जबकि, बाद में
उन्हें "प्रभु" कहकर पुकारते हैं (5-7)। यह ईश्वरीय बुलाहट का शिक्षणशास्त्र है, जो चुने
गये लोगों की गुणवत्ता पर इतना ध्यान नहीं देता जितना कि वह उनके विश्वास पर ध्यान देता
है जैसा कि सिमोन के विश्वास पर जो कहते हैं: "आपके कहने पर मैं जाल डालूँगा" (5-5)।"
सन्त पापा ने आगे कहाः "मछली पकड़ने का दृश्य कलीसिया के मिशन का स्मरण दिलाता है।
इस सन्दर्भ में सन्त अगस्टीन टीका करते हैं: "येसु के आदेश पर दो बार शिष्यों ने जाल
डाला, पहली बार दुखभोग से पहले और दूसरी बार पुनरुत्थान के बाद। मछलियों की इन दो पकड़ों
में सम्पूर्ण कलीसिया दृश्यमान होती हैः कलीसिया, जैसी वह आज है और कलीसिया, जैसी वह
मृतकों के पुनरुत्थान के बाद होगी। इस समय वह इतने अधिक लोगों का स्वागत किये हुए है
जिन्हें गिनना असम्भव है तथा जिनमें भले और बुरे सभी शामिल हैं; जबकि, पुनरुत्थान के
बाद उसमें केवल भले लोग शामिल होंगे" (प्रवचन 248,1)।" सन्त पापा ने कहा, "सिमोन पेत्रुस
का अनुभव निश्चित्त रूप से अद्वितीय था जो सुसमाचार के प्रत्येक प्रेरित की बुलाहट का
भी प्रतिनिधित्व करता है, उस प्रेरित का जिसे सब मनुष्यों के बीच, विश्व के ओर छोर तक,
सुसमाचार की उदघोषणा करने में कभी भी हतोत्साहित नहीं होना चाहिये। हालांकि, आज के लिये
निर्धारित पाठ हमें पौरोहित्य एवं समर्पित जीवन पर चिन्तन हेतु आमंत्रित करता है। यह
ईश्वर का कार्य है। मनुष्य अपनी बुलाहट का निर्माता नहीं है बल्कि वह ईश्वर के आमंत्रण
और ईश्वर के दिव्य प्रस्ताव का प्रत्युत्तर देता है; अस्तु, यदि ईश्वर हमें आमंत्रित
करते हैं तो मानव कमज़ोरी से हमें भय नहीं खाना चाहिये। ईश्वर की शक्ति पर भरोसा रखना
चाहिये जो हमारी दीनता में क्रियाशील रहती है; सदैव ईश्वरीय करुणा की शक्ति पर अधिकाधिक
विश्वास किया जाना चाहिये जो मनुष्य को रूपन्तरित एवं नवीकृत करती है।" अन्त
में सन्त पापा ने कहाः "प्रिय भाइयो और बहनो, ईश्वर का यह वचन हममें और हमारे ख्रीस्तीय
समुदायों में, सुसमाचार की उदघोषणा करने एवं सुसमाचर के साक्षी बनने हेतु साहस, आत्मविश्वास
एवं नवस्फूर्ति का संचार करे। हमारी विफलताएं एवं निराशाएँ हमें हतोत्साहित न करें: हमारा
काम है विश्वासपूर्वक जाल डालना, शेष सब प्रभु करेंगे। इसके अतिरिक्त, कुँवारी मरियम
की मध्यस्थता पर भी हम भरोसा करें। अपनी दीनता से भली भाँति परिचित होते हुए, उन्होंने
प्रभु की बुलाहट का प्रत्युत्तर पूर्ण विश्वास के साथ दियाः "देखिये, मैं प्रभु की दासी
हूँ"। उनकी ममतामय सहायता से हम, प्रभु एवं गुरु, येसु के अनुसरण हेतु अपनी सुलभता को
नवीकृत करें।" इतना कहकर सन्त पापा ने उपस्थित भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना
का पाठ किया तथा सबके प्रति मंगलकामनाएं अर्पित करते हुए सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
प्रदान किया। देवदूत प्रार्थना के उपरान्त सन्त पापा ने 10 एवं 11 फरवरी को मनाये
जानेवाले चीनी नववर्ष एवं विश्व रोगी दिवस का स्मरण किया। उन्होंने कहाः "आज, सुदूर पूर्व
में अनेक लोग चन्द्र नववर्ष मना रहे हैं। इस सुअवसर पर शांति, मैत्री एवं स्वर्ग को धन्यवाद
ज्ञापन जैसे विश्वव्यापी मूल्यों का समारोह मनाया जाता है। सभी लोग अपने परिवार, समाज
एवं देश के निर्माण हेतु इन मूल्यों को चाहते हैं। सभी के प्रति मेरी मंगलकामना है कि
सुखद एवं समृद्ध जीवन हेतु उनकी आकाँक्षाएँ पूरी हों। इन देशों में निवास करनेवाले काथलिकों
को मेरी विशिष्ट शुभकामनाएँ ताकि विश्वास को समर्पित वर्ष के दौरान वे ख्रीस्त की प्रज्ञा
द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त करें।" विश्व रोगी दिवस के बारे में सन्त पापा ने कहाः
"कल हम लूर्द की रानी मरियम का पर्व मना रहे हैं जो विश्व रोगी दिवस भी है। इस उपलक्ष्य
में जर्मनी के बावेरिया में आलट्योटिंग नगर स्थित मरियम तीर्थ पर एक भव्य समारोह सम्पन्न
होगा। अपनी प्रार्थनाओं में मैं सस्नेह उन सबके समीप हूँ जो बीमार हैं तथा आध्यात्मिक
रूप से उन सबके साथ संयुक्त होता हूँ जो, मुझे विशेष रूप से प्रिय, इस मरियम तीर्थ पर
एकत्र होंगे।" अन्त में सबपर प्रभु की दिव्य शांति का आह्वान कर सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने सबके प्रति शुभ रविवार एवं शुभ सप्ताह की मंगलकामनाएँ अर्पित कीं।