2013-02-07 20:21:08

सेवा कलीसियाई जीवन का सार


वेलांकिनी, चेन्नई 7 फरवरी, 2013 (सीसीबीआई) "सेवा कलीसियाई जीवन का सार है और येसु के शिष्य रूप में हम इसे नहीं छोड़ सकते।" उक्त बात सीबीसीआई के अध्यक्ष और मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वाल्ड ने उस समय कही जब उन्होंने सीसीबीआई की 25वीँ वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित यूखरिस्तीय बलिदान में प्रवचन दिये।
विदित हो कि लैटिन रीति के धर्माध्यक्षों की सर्वोच्च सभा सीसीबीआई के स्थापना की 25वीँ जयन्ती पर चेन्नई के वेलांकिनी में पूर्ण अधिवेशन का आयोजन किया गया है जिसकी विषय वस्तु है, ‘कलीसिया एक सेवामय समुदाय’।
कार्डिनल ऑस्वाल्ड ने कहा कि कलीसिया का मूल मिशन क्या है, इसे जानने के लिये हम संत मत्ती के 20वें अध्याय के 20वें पद को पढ़ें जिसमें लिखा है ‘मानवपुत्र इसलिये नहीं आया है कि उसकी सेवा हो पर इसलिये कि दूसरों की सेवा कर और दूसरों की मुक्ति के लिये अपना जीवन समर्पित कर दे’।
उन्होंने कहा कि विश्वव्यापी, राष्ट्रीय और स्थानीय कलीसिया सब येसु के द्वारा बुलाये गये हैं ताकि वे ‘सेवामयी समुदाय’ कहला सकें। अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय स्तर पर कलीसिया को आमंत्रण है कि वह हरसंभव पर्यावरण के लिये कार्य करे और मानव समुदाय को बेहतर बनाये। राष्ट्रीय स्तर पर वह भ्रष्टाचार, निरक्षरता, असमानता और गरीबी दूर करने के लिये सामने आये।
मालूम हो कि वेलांकिनी में आयोजित इस सभा में वाटिकन से संत पापा के विशेष राजदूत लोगों के बीच सुसमाचार प्रचार के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल फेरनान्दो फिलोनी उपस्थित हैं जो 10 फरवरी को नवनिर्मित मॉर्निंग स्टार चर्च का उद्धाटन करेंगे।









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