2013-02-07 07:28:04

प्रेरक मोतीः सन्त मोज़ेस (निधन 372 ई.)


वाटिकन सिटी, 07 फरवरी सन् 2013

7 फरवरी को काथलिक कलीसिया सन्त मोज़ेस का पर्व मनाती है। मोज़ेस चौथी शताब्दी के अरबी एकान्तवासी एवं धर्माध्यक्ष थे। मोज़ेस को "साराचेन्स के प्रेरित" नाम से भी जाना जाता है। वे सिरिया एवं मिस्र के उजाड़ प्रदेशों में एकान्तवास किया करते थे तथा स्थानीय ख़ानाबशोदों की प्रेरितिक सेवा एवं देखभाल किया करते थे। जब रोमी शासकों ने साराचेन्स में शान्ति की घोषणा की तब साराचेनो की शासक रानी माविया ने मोज़ेस को बुला भेजा तथा कलीसिया के अधिकारियों से उन्हें धर्माध्यक्ष नियुक्त करने का आग्रह किया। मोज़ेस ने न चाहकर भी लोगों की भलाई के लिये इस पद को स्वीकार कर लिया। साराचेनों तथा रोमियों के बीच शांति स्थापना हेतु वे प्रमुख मध्यस्थ सिद्ध हुए। मोज़ेस के धर्माध्यक्ष नियुक्त किये जाने के बाद ही सिरिया एवं मिस्र के ख़ानाबदोशों को समाज में स्थान मिला तथा रोमियों एवं साराचेनों के बीच शान्ति की स्थापना की जा सकी इसीलिये धर्माध्यक्ष मोज़ेस को आरम्भिक कलीसिया के शांति निर्माता एवं मध्यस्थ माना जाता है। सन्त मोज़ेस का पर्व 07 फरवरी को मनाया जाता है।



चिन्तनः "हे प्रभु मुझे अपनी शान्ति का साधन बना ले। जहाँ घृणा हो, वहाँ मैं प्रीति भर दूँ,जहाँ आघात हो, वहाँ क्षमा भर दूँ और जहाँ शंका हो, वहाँ विश्वास भर दूँ। मुझे ऐसा वर दे कि जहाँ निराशा हो, मैं आशा जगा दूँ, जहाँ अंधकार हो, ज्योति जगा दूँ, और जहाँ खिन्नता हो, हर्ष भर दूँ। हे स्वामी, मुझको ये वर दे कि मैं सांत्वना पाने की आशा न करूँ, सांत्वना देता रहूँ। समझा जाने की आशा न करूँ, समझता ही रहूँ। प्यार पाने की आशा न रखूँ प्यार देता ही रहूँ। त्याग के द्वारा ही प्राप्ति होती है। क्षमा के द्वारा ही क्षमा मिलती है। मृत्यु के द्वारा ही अनन्त जीवन मिलता है। आमेन।" (असीसी के सन्त फ्राँसिस की प्रार्थना)।









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