वाटिकन द्वितीय महासभा के भीतर छिपे खज़ाने को तलाशें
बंगलोर, 4 फरवरी, 2013 (वीआर, अंग्रेज़ी) भारतीय धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष और मुम्बई
के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वाल्ड ग्रेशियस ने कहा कि कि वे वाटिकन कौसिल के भीतर
छिपे खज़ाने को तलाशें जो कि सचमुच एक बहुमूल्य अन्तरकलीसयाई सभा थी।
विदित हो
कि बंगलोर के धर्मारम विद्या क्षेत्रम में 31 जनवरी से 3 फरवरी तक वाटिकन द्वितीय महासभा
के सम्पन्न होने के पचास वर्ष पूरा होने के अवसर पर एक अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार का आयेजित
किया गया था जिसमें विभिन्न कार्य क्षेत्रों के करीब 300 विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
वाटिकन
द्वितीय महासभा के बारे में संत पापा धन्य जोन पौल द्वितीय की बातों को याद कराते हुए
उन्होंने कहा कि आधुनिक कलीसिया के लिये वाटिकन द्वितीय महासभा अति महत्वपूर्ण है। यह
इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके द्वारा हम येसु मसीह द्वारा दिये गये मिशन, सुसमाचार
के प्रचार करें और हर एक नेक दिल वाले के साथ वार्ता कर सकें।
कार्डिनल ने वाटिकन
द्वितीय महासभा के प्रभाव के बार में बोलते हुए कहा कि वाटिकन महासभा के बाद काथलिक कलीसिया
ने अन्तरकलियाई वार्ता और अन्तरधार्मिक वार्ता के क्षेत्र में सराहनीय प्रगति की है।
इसके साथ लोकधर्मियों को भी इस महासभा से शांति और न्याय के लिये कार्य करने के लिये
प्रोत्साहन मिला और उन्होंने विभिन्न धार्मिक आन्दोलनों द्वारा ख्रीस्तीय जीवन को मजबूत
करने में सक्रियता दिखायी है।
कार्डिनल ऑस्वाल्ड ने कहा कि वाटिकन द्वितीय
महासभा आज बहुत ही ज़्यादा प्रासांगिक है और ज़रूरत है कि इसकी बातों को कलीसियाई जीवन
में लागू किया जाये।
उन्होंने संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें की बातों की याद दिलाते
हुए कहा कि अपने संत पापा चुने के कुछ दिनों पूर्व कार्डिनल जोसेफ रत्सिंगर के रूप में
उन्होंने कहा था कि कलीसिया को आज ज़रूरत है ऐसे लोगों कि जो विश्वास करते और उसके अनुसार
जीते है ताकि दुनिया ईश्वर पर विश्वास करे।
हमें ज़रूरत है ऐसे लोगों कि जिनकी
आँखें ईश्वर पर टिकीं हैं और जो उनसे सच्ची मानवता के बारे में सीखते हैं, ऐसे लोगों
कि जिनका मन ईश्वर से प्रकाशित होता है और जिनका ह्रदय दूसरों के लिये खुला हो। उन्होंने
कहा कि ऐसे लोगों से जिनका दिल ईश्वर से जुड़े हैं सच्ची मानवता दुनिया में लौट सकती
है।