वाटिकन सिटी, 2 जनवरी, 2013 (कैथन्यूज़) संस्कृति के लिये बनी वाटिकन परमधर्मपीठीय समिति
ने रोम में 6 से 9 फरवरी तक वेब जानकारों, समाजशास्त्रियों और ईशशास्त्रियों की एक सभा
बुलाई है ताकि वे ‘उभरती युवा संस्कृति’ पर चिन्तन कर सकें। वाटिकन की संस्कृति संबंधी
समिति ने काथलिक कलीसिया के युवाओं के बारे मे अपनी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आज
ज़रूरी है कि कलीसिया युवाओं की उन ज़रूरतों को समझे, उनकी भाषा बोले और उनके लिये कार्य
करे। संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के सह-सचिव मान्यवर मेलचोक सान्चेज
दे तोका ने कहा कि कलीसियाई युवाओं की समस्यायें सिर्फ़ गुणात्मक नहीं पर संख्यात्मक
भी है। वे न केवल बपतिस्मा और धार्मिक समारोहों में कम संख्या में दिखते हैं पर गुणों
का भी अभाव के भी संकेत हैं। उन्होंने कहा युवाओं की दुनिया बहुत बदल गयी है पर कलीसिया
अब तक उन्हीं बातों को बतलाती है जिन्हें पाँच सौ साल पहले बतलाया जाता था। उन्होंने
कहा कि हम अबतक युवाओं को एक ही जवाब देते हैं यद्यपि वे अपने सवालों को दूसरे तरीके
से जानने को इच्छुक हैँ। संस्कृति के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति क अध्यक्ष कार्डिनल
जियानफ्रांको रवासी ने कहा कि हालाँकि युवाओं को व्यक्तिवादी, सुखवाद और छिछलापन के साथ
जोड़ा जाता है पर इसकी युवा भिन्न तो हैं ही उनमें फलदायी और कई गुणों के आश्यर्यजनक
बीज भी हैं। कार्डिनल ने कहा कि वे युवाओं की भावनाओं को समझने के लिये ब्रिटिश पोप
गायक अमी वाईटहाउस की म्युजिक सीडी सुनने के लिये उत्सुक हैं। रोम में होने वाले
इस कार्यक्रम का शुभारंभ इताली क्रिश्चियन रोक बैंड ‘द सन’ के कार्यक्रम द्वारा होगा
जिसका आनन्द सेमिनार के सदस्य धर्माध्यक्ष और लोकधर्मी नेता ले पायेंगे। इस सभा में
युवा काथलिक कार्यकर्ता इंडोनेशिया, मडागास्कर और अमेरिका से भी अपने कार्यक्रम प्रस्तुत
करेंगे।