वाटिकन सिटी, 2 फरवरी, 2013 (सेदोक,वीआर) शुक्रवार 1 फरवरी को वाटिकन ने संत पापा बेनेदिक्ति
सोलहवें द्वारा दिये चालीसा संदेश सन् 2013 को प्रकाशित किया।
संत पापा ने कहा,
"चालीसा काल चालीस दिनों की प्रार्थना, तपस्या और दान देने का समय है जो विश्वास और प्रेम
के साथ घनिष्ठता के साथ जुड़ा हुआ है।"
संत पापा ने कहा कि विश्वास एक कृपा और
उत्तर दोनों हैं है जो येसु ख्रीस्त शरीरधारी शब्द की सत्यता को जानने में हमारी मदद
करता है। येसु मसीह जिन्होंने अपने पिता के प्रति पूर्ण रूप से आज्ञाकारी बनकर क्रूसित
होना स्वीकार किया और लोगों के लिये ईश्वर की असीम दया को प्रकट किया।
संत पापा
ने कहा कि प्रेम हमें इस बात के लिये मदद देता है कि हम ख्रीस्त द्वारा प्रकट ईश्वरीय
प्रेम को जानें और व्यक्तिगत रूप से वैसा ही दूसरों के प्रति निःस्वार्थ भाव से समर्पित
हों जैसा कि येसु स्वर्गीय पिता के प्रति समर्पित थे।
उन्होंने कहा कि प्रेम का
सबसे बड़ा मिशन है सुसमाचार का प्रचार करना, क्योंकि सबकुछ प्रेम से ही प्रसृत होता और
उदारतापूर्ण कार्य करने के लिये हमें प्रेरित करता है।
विश्वास वर्ष में संत
पापा ने अपने चालीसाकालीन संदेश में प्रेम और विश्वास के संबंध को स्पष्ट किया है। उन्होंने
कहा कि प्रेम में विश्वास करना हमें प्रेम करने के लिये प्रेरित करता है।
उन्होंने
कहा कि विश्वास का अर्थ है – ‘ईश्वर के प्रेम का उत्तर देना’। यह एक व्यक्तिगत संकल्प
या निष्ठा है जो ईश्वर प्रदत्त प्रभु येसु के पूर्ण प्रेम के साथ हमारी मानसिक और शारीरिक
क्षमताओं से जुड़ा रहता है।
उन्होंने कहा कि कई बार हम प्रेम को ‘सहायता’ या ‘मानवीय
मदद’ के रूप में व्यक्त कर दते हैं पर यह ज़रूरी है कि हम याद करें प्रेम का मिशन है
- सुसमाचार का प्रचार करना जिसे दिव्य शब्द का प्रचार भी कहा जाना चाहिये।
अपने
संदेश में संत पापा ने यह भी लिखा है कि अपने पड़ोसियों के लिये किये जाने वाले प्रेम
से बढ़कर कोई में अन्य मदद अर्थपूर्ण नहीं है। सुसमाचार प्रचार से बड़ा मानव के समुचित
विकास का और कोई कार्य नहीं है।
संत पापा ने कहा कि विश्वास प्रेम के पूर्व आता
है पर यह तब ही अर्थपूर्ण होता है जब इसे प्रेम से मजबूत किया जाता है।