नागासाकीः पहली बार, जापान ख्रीस्तीय स्थलों को विश्व की सांस्कृतिक धरोहर में शामिल
करने का आग्रह करेगा
नागासाकी, 30 जनवरी सन् 2013 (एशिया न्यूज़): जापान, अपने इतिहास में पहली बार, ख्रीस्तीय
स्थलों को विश्व की सांस्कृतिक धरोहर में शामिल करने हेतु, शिक्षा, विज्ञान एवं संस्कृति
सम्बन्धी संयुक्त राष्ट्र संघीय संगठन, यूनेस्को से आग्रह करेगा। नागासाकी एवं कुमामोटो
प्रशासन ने, मंगलवार को, जापान के संस्कृति मंत्री हाकूबून शिमोमूरा के समक्ष एक प्रारूप
प्रस्तुत किया जिसमें 13 ख्रीस्तीय स्थलों को विश्व की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में
शामिल करने का अनुरोध किया गया है। इन 13 ख्रीस्तीय स्थलों में नागासाकी का आऊरा
महागिरजाघर शामिल है जिसे दो फ्रेंच मिशनरियों ने सन् 1864 ई. में, 26 ख्रीस्तीय शहीदों
के स्मारक रूप में बनवाया था। सन् 1597 ई. में टोयोटोमी हिदेयोशी के दमनकाल में नौ यूरोपीय
एवं 16 जापानी काथलिक मिशनरियों को क्रूस पर ठोंक कर मार डाला गया था। इसके बाद,
जापान में लगभग 250 वर्षों तक ख्रीस्तीयों का उत्पीड़न जारी रहा था। इसी काल में हज़ारों
ख्रीस्तीयों से बलपूर्वक ख्रीस्तीय धर्म के परित्याग की मांग की गई थी। ख्रीस्त में अपने
विश्वास पर अटल रहनेवाले ख्रीस्तीयों को या तो भूमिगत होना पड़ा था या फिर गिरफ्तारी
अथवा मौत का सामना करना पड़ा था। इसी की स्मृति में सन्त पापा पियुस नवम ने इस महागिरजाघर
को "पूर्व का करिशमा" संज्ञा प्रदान कर सम्मानित किया था। आऊरा महागिरजाघर के अलावा,
जापान के 12 अन्य ख्रीस्तीय स्थलों का नाम यूनेस्को को प्रेषित कर दिया गया है।