2013-01-26 14:33:34

सुसमाचार प्रचार की प्रथम ज़रूरत है अन्तरकलीसियाई एकता


वाटिकन सिटी, 26 जनवरी, 2013 (वीआर, अंग्रेजी) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने शुक्रवार 25 जनवरी को संत पौल आउटसाइड द वॉल्स बसिलिका में आयोजित अन्तरकलीसियाई संध्या प्रार्थना की अध्यक्षता की।

संत पापा ने सान्ध्य प्रार्थना के लिये एकत्रित लोगों को अपने प्रवचन में कहा कि वे आज व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सुसमाचार का प्रभाव कम दिखाई देता है जो ख्रीस्तीयों के लिये एक गंभीर चुनौती है। इसके लिये अन्तरकलीसियाई एकता की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक है।

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार प्रचार के लिये अन्तरकलीसियाई एकता प्रभावकारी साधन तो है ही यह इस मिशन शुरु करने की पहली ज़रूरत है ऐसे लोगों के लिये जिन्होंने येसु के बारे में कभी नहीं सुना है और उनके लिये भी जो उनसे दूर हो गये हैँ।

संत पापा ने याद दिलाया कि आपसी मनमुटाव और टकराव मिशनरी कार्यों के लिये बुरा उदाहरण है और यही कारण है कि अन्तरकलीसियाई एकता का आन्दोलन शुरु किया गया है। ख्रीस्तीय जीवन का उत्तम साक्ष्य है – ख्रीस्तीयों के बीच पूर्ण और प्रत्यक्ष एकता।

संत पापा ने कहा कि हम एक ओर पूर्ण एकता के लिये कार्यरत हैं तो दूसरी ओर यह आवश्यक है कि हम ख्रीस्त के चेलों के रूप में एक दूसरे के ऐसा सहयोग करें ताकि आज की दुनिया को हमारे विश्वास का साक्ष्य मिले।

आज ज़रूरत इस बात की भी है कि हम मेलमिलाप, वार्ता और आपसी समझदारी के साथ कार्य करें ताकि आज की संस्कृति के साथ हम टिके रह सकें।

विदित हो कि रोम में सन् 1908 से अन्तरकलीसियाई प्रार्थना का आयोजन प्रत्यके वर्ष किया जा रहा है। इसके पीछे फादर पौल वाटसन का योगदान रहा है जिन्होंने ‘फ्रांसिस्कन फ्रेरस ऑफ द अटोनमेन्ट’ धर्मसमाज की स्थापना भी की।














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