2013-01-23 14:00:38

संत पापा की धर्मशिक्षा, 23 जनवरी, 2013


वाटिकन सिटी, 23 जनवरी, 2013 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, विश्वास वर्ष में हम आज ‘विश्वास’ विषय पर धर्मशिक्षामाला को जारी रखें। एक ख्रीस्तीय रूप में हमें अपने विश्वास की घोषणा उत्साहपूर्वक करते हैं।

विश्वास की घोषणा के आरंभ में हम कहते हैं, "मैं ईश्वर पर विश्वास करता हूँ"। विश्वास क्या है? विश्वास है ईश्वर के उस आमंत्रण का उत्तर जिसमें वे हमसे बातें करने की पहल करते, अपने को प्रकट करते और अपने साथ एक होने का निमंत्रण देते हैं।

हम ईश्वर की आवाज़ कहाँ सुनते हैं? ईश्वर की आवाज़ पवित्र धर्मग्रंथ बाईबल में सुनते हैं जहाँ ईश्वर अपने को प्रकट करता है और ईश्वर के स्वप्रकटन की चरमसीमा थी-येसु अपने पुत्र को इस धरा में भेजना।

अब्राहम विश्वास के पिता और विश्वासियों के आदर्श हैं।(रोम, 4:11-12) ईश्वर की कृपा और उनकी प्रतिज्ञा पर भरोसा रखकर अब्राहम प्रतिज्ञात देश के लिये निकल पड़े थे।

अब्राहम के समान हम भी बुलाये गये हैं ताकि हम विपरीत परिस्थितियों में भी दुनिया के सोच से अलग हटकर, अपने विचारों और कार्यों को ईशवचन के समान ढालें

जब हम विश्वास की आँखों से देखते हैं तो हम ईश्वर की उपस्थिति और अनन्त जीवन की उनकी प्रतिज्ञाओं को पहचान पाते हैं जो इस दुनिया से बिल्कुल भिन्न है। जब हम ईश्वर की कृपाओं को प्राप्त करते हैं तो हम दूसरों के लिये भी एक वरदान बन जाते हैं।

इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

उन्होंने ‘बोस्सी ग्रैजुएट स्कूल ऑफ़ एक्युमेनिकल स्टडीज़’ के विद्यार्थियो, ब्रिटेन के मिलिटरी चैपलिनों, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को प्रभु के प्रेम, और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।











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