वाटिकन सिटीः प्रभु के बपतिस्मा महापर्व के उपलक्ष्य में मध्यान्ह देवदूत प्रार्थना
से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
वाटिकन सिटी, 14 जनवरी सन् 2013 (सेदोक): रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण
में, प्रभु के बपतिस्मा महापर्व के उपलक्ष्य में, रविवार 14 जनवरी को एकत्र भक्त समुदाय
के साथ, देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहाः "अति
प्रिय भाइयो एवं बहनो, एपीफानी अर्थात् प्रभु प्रकाश महापर्व के बाद पड़नेवाले इस
रविवार के साथ ही ख्रीस्त जयन्ती की धर्मविधिक अवधि समाप्त होती हैः "यह प्रकाश की अवधि
है, ख्रीस्त का प्रकाश जो मानवजाति के क्षितिज पर नये सूर्य जैसे प्रकाशमान होता तथा
बुराई और अज्ञान के अन्धकार को हरता है। आज, हम येसु के बपतिस्मा का महापर्व मनाते हैः
वह बालक जो कुँवारी का पुत्र है तथा जिसके जन्म के रहस्य पर हमने मनन चिन्तन किया है,
उसे हम आज एक वयस्क के रूप में यर्दन नदी के जल में निम्मजित होते तथा सब जल एवं सम्पूर्ण
ब्रहमाण्ड को पवित्र करते देखते हैं, जैसा कि पूर्वी परम्परा बताती है।" आगे सन्त
पापा ने प्रश्न कियाः "परन्तु, येसु, जिनमें पाप की परछाई तक नहीं थी क्यों योहन के पास
बपतिस्मा ग्रहण करने गये? क्या वे उन अनेक लोगों के साथ पश्चाताप एवं मनपरिवर्तन करना
चाहते थे जो मसीह के आने की तैयारी में लगे थे? येसु का वह कृत्य, जैसा कि सुसमाचार बताते
हैं – जिसने प्रभु येसु के सार्वजनिक जीवन की शुरुआत को चिन्हित किया - देहधारण के ही
सदृश है इसलिये कि यह ऊँचे स्वर्गों से पाताल तक ईश्वर के नीचे आने को इंगित करता है।
ईश्वर के इस तरह नीचे आने का अर्थ एक ही शब्द में समाहित है और वह है प्रेमः प्रेम जो
स्वतः ईश्वर का नाम है। प्रेरितवर सन्त योहन लिखते हैं: "ईश्वर हम को प्यार करता है।
यह इस से प्रकट हुआ है कि ईश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को संसार में भेजा, जिससे हम उसके
द्वारा जीवन प्राप्त करें। ईश्वर के प्रेम की पहचान इस में है कि पहले हमने ईश्वर को
नहीं, बल्कि ईश्वर ने हम को प्यार किया और हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए अपने पुत्र
को भेजा" (1 योहन 4,9-10)। यही कारण है कि येसु द्वारा सम्पादित सबसे पहला सार्वजनिक
कार्य योहन से बपतिस्मा प्राप्त करना था, जो येसु को आते देख बोल उठते हैं: "देखो-ईश्वर
का मेमना, जो संसार का पाप हरता है"(सन्त योहन 1,29)।
उन्होंने कहा, "सुसमाचार
लेखक सन्त लूकस बताते हैं कि जब बपतिस्मा ग्रहण करने के बाद येसु प्रार्थना में लीन थे,
आकाश खुल गया तथा पवित्रआत्मा, कपोत जैसे शरीर के रूप में उनपर उतरा तब आकाश से एक वाणी
सुनाई दी, "तू मेरा प्रिय पुत्र है। मैं तुझ पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ'' (3,21-22)।
सन्त पापा ने कहा, "ये येसु ही ईश्वर के पुत्र हैं जो ईश प्रेम की इच्छा में पूर्णतः
निम्मजित हो गये हैं। ये येसु, वही हैं जो क्रूस पर मरेंगे तथा उन्हीं पवित्रआत्मा की
शक्ति से पुनः जी उठेंगे जो इस समय उनपर आच्छादित होकर उन्हें अभिमंत्रित कर रहे हैं।
ये येसु ,नवमानव है जिन्होंने ईश पुत्र रूप में जीना स्वीकार किया अर्थात् प्रेम का चयन
किया; वह मनुष्य जिसने विश्व की बुराईयों के समक्ष, विनम्रता एवं ज़िम्मेदारी का रास्ता
चुना, अपने आपको बचाने का रास्ता नहीं चुना बल्कि सत्य और न्याय की स्थापना के लिये अपना
जीवन बलिदान कर दिया।" सन्त पापा ने कहा, "ख्रीस्तीय धर्मानुयायी होने का
अर्थ इसी प्रकार के जीवन का चयन करना है, किन्तु इस तरह के जीवन में नवजीवन निहित है।
इसका अर्थ है ऊपर से नवजीवन प्राप्त करना, ईश्वर से कृपापूर्ण जीवन पाना। यह नवजीवन ही
बपतिस्मा है, जिसका वरदान प्रभु ख्रीस्त ने कलीसिया को दिया है ताकि वह मनुष्यों में
नवजीवन का संचार कर सके। सन्त हिपोलिथ द्वारा लिखा एक प्राचीन पाठ इस तथ्य की पुष्टि
करता है कि, "जो व्यक्ति विश्वासपूर्वक पुनर्जन्म के इस जल में निम्मजित होता है वह
शैतान का परित्याग करता तथा ख्रीस्त के साथ हो लेता है, शत्रु का बहिष्कार करता तथा यह
स्वीकार करता है कि ख्रीस्त ही ईश्वर हैं, वह व्यक्ति ख़ुद को गुलामी से मुक्त करता तथा
ईश्वर के दत्तक पुत्रत्व का परिवेश धारण करता है (प्रभु प्रकाश पर प्रवचन से 10: 10,862)।"
अन्त में सन्त पापा ने कहा, "काथलिक कलीसिया की परम्परा के अनुसार, आज प्रातः मुझे
उन बच्चों को बपतिस्मा प्रदान करने का सौभाग्य मिला जो विगत तीन-चार माहों के दौरान जन्में
हैं। इस क्षण, सभी नवजात शिशुओं के प्रति, मैं सस्नेह अपनी बाहें फैलाता, उनके लिये प्रार्थना
करता तथा उन्हें अपनी आशीष देता हूँ; सभी विश्वासियों को मैं आमंत्रित करता हूँ कि वे
बपतिस्मा संस्कार की याद करें जो हमारा आध्यात्मिक पुनर्जन्म है तथा जिसने हमारे लिये
अनन्त जीवन के द्वार खोल दिये हैं। मेरी मंगलकामना है कि विश्वास को समर्पित इस वर्ष
के दौरान प्रत्येक ख्रीस्तीय ऊपर से पुनः जन्म लेने के सौन्दर्य की पुनर्खोज कर सके,
वह ईश प्रेम की पुनर्खोज कर सके तथा ईश्वर की सच्ची सन्तान रूप में जीवन यापन कर सके।"
इतना कहकर सन्त पापा ने उपस्थित भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया
तथा सबके प्रति मंगलकामनाएं अर्पित करते हुए सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
तदोपरान्त सन्त पापा ने विभिन्न भाषाओं में तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया। अँग्रेज़ी
भाषा भाषियों को सम्बोधित कर उन्होंने कहा, "आज प्रभु के बपतिस्मा में हम, बपतिस्मा के
जल में निहित पवित्रआत्मा के वरदान द्वारा ईश्वरीय जीवन पर मनन चिन्तन करते हैं। मेरी
याचना है कि हम अपने बपतिस्मा से नवीकृत हों तथा सुसमाचार की प्रतिज्ञाओं के प्रति सत्य
निष्ठ रहकर ख्रीस्त के सुदृढ़ साक्षी बन सकें। आप पर और आपके परिवारों पर मैं प्रभु के
आनन्द और शांति का आह्वान करता हूँ।" अन्त में सन्त पापा ने सबके प्रति शुभ रविवार
की मंगलकामनाएँ व्यक्त की।