प्रेरक मोतीः पेन्नाफोर्ट के सन्त रेमण्ड (1175 ई.- 1275 ई.)
वाटिकन सिटी, 07 जनवरी सन् 2013
पेन्नाफोर्ट के सन्त रेमण्ड को धर्मविधान शास्त्रियों
का संरक्षक सन्त माना जाता है। स्पेन में जन्में रेमण्ड आरागोन के राजा के रिश्तेदार
थे। बाल्यकाल से ही माँ मरियम के प्रति भक्ति से उनका लगाव था। स्कूल की पढ़ाई समाप्त
करने के बाद उन्होंने शिक्षक का प्रशिक्षण ग्रहण किया तथा कुछ वर्षों में एक विख्यात
अध्यापक बन गये। अपनी सारी धन सम्पत्ति तथा पदों का परित्याग करने के बाद रेमण्ड ने स्पेन
में काटालान स्थित दोमिनिकन धर्मसमाजी मठ में प्रवेश कर लिया था। विनीत, विनम्र एवं ईश्वर
के निकट रहनेवाले रेमण्ड से प्रभावित कईयों ने मनपरिवर्तन किया तथा ख्रीस्तीय धर्म का
आलिंगन किया।
आरागोन के राजा जेम्स तथा नोलास्को के सन्त पीटर के साथ मिलकर दोमिनिकन
धर्मसमाजी भिक्षु रेमण्ड ने मरियम को समर्पित "आर लेडी ऑफ रेनसम" नामक धर्मसंघ की स्थापना
की थी। इस धर्मसंघ के साहसी धर्मसंघी, मूरों द्वारा बन्धक बनाये गये, ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों
को छुड़ाने का नेक काम किया करते थे।
धर्मसमाजी भिक्षु रेमण्ड एक बार राजा जेम्स
के साथ सुसमाचार के प्रचार हेतु स्पेन से मायोरका गये थे। राजा जेम्स महान सदगुणों के
धनी थे तथापि, कभी कभी वे भी अपने प्रलोभनों को दूर नहीं रख पाते थे। मायोरका द्वीप पर
सुन्दरियों को देख राजा जेम्स प्रलोभन में पड़े तथा लोगों को बुरा उदाहरण देने लगे जिसपर
रेमण्ड ने उन्हें फटकार बताई। राजा ने सुन्दरियों से दूर रखने का प्रण तो किया किन्तु
अपनी प्रतिज्ञा पर अटल न रह पाये। इस पर नाराज़ होकर रेमण्ड ने द्वीप छोड़ने का निर्णय
ले लिया। राजा क्रुद्ध हो गये तथा उन्होंने घोषणा कर दी कि जो भी जहाज़ रेमण्ड को वापस
बारसेलोना ले जायेगा उसके कप्तान को दण्डित किया जायेगा। रेमण्ड अपनी बात पर अटल रहे
तथा प्रभु ईश्वर में पूरा विश्वास करते हुए उन्होंने अपना लबादा उतारा तथा उसे समुद्र
के पानी पर बिखेर दिया। तदोपरान्त, लबादे के एक छोर पर एक लकड़ी को बाँधकर उन्होंने क्रूस
का चिन्ह बनाया तथा तब तक पानी पर सैर करते गये जब तक बारसेलोना नहीं पहुँच गये। छः घण्टों
में वे मायोरका से बारसेलोना पहुँचे। इस चमत्कार ने राजा जेम्स का हृदय स्पर्श किया और
वे अपने किये पर पछताने लगे। इस घटना के बाद राजा जेम्स रेमण्ड के सच्चे अनुयायी बन गये।
अपने निधन के अवसर पर रेमण्ड 100 वर्ष का आयु पार कर गये थे।
13 वीं शताब्दी
के दोमिनिकन धर्मसमाजी भिक्षु रेमण्ड कलीसियाई विधान के पण्डित थे उन्होंने सन्त ग्रेगोरी
नवम् द्वारा प्रस्तावित आज्ञप्तियों का संकलन किया था। इन आज्ञप्तियाँ में वे कलीसियाई
विधान संकलित हैं जो 20 वीं शताब्दी तक काथलिक कलीसिया में प्रभावित रहे थे। इसीलिये
सन्त रेमण्ड को वकीलों और, विशेष रूप से, कलीसियाई विधान के व्याख्याकारों एवं धर्मविधान
शास्त्रियों का संरक्षक सन्त माना जाता है। छः जनवरी सन् 1275 ई. को स्पेन के दोमिनिकन
भिक्षु, काथलिक कलीसिया के सन्त रेमण्ड का निधन हो गया था। पेन्नाफोर्ट के सन्त रेमण्ड
का पर्व 07 जनवरी को मनाया जाता है।
चिन्तनः "मैंने तुम्हारे वशंजों
के नेताओं को, बुद्धिमान् और अनुभवी व्यक्तियों को चुना और उन्हें हज़ार-हज़ार, सौ-सौ,
पचास-पचास और दस-दस मनुष्यों की टोली पर शासक और वंश के सचिव के रूप में नियुक्त किया।
उस समय मैंने तुम्हारे न्यायाधीशों को आदेश दिया कि वे तुम्हारे भाइयों के दोनों पक्षों
की बातें सुनकर उनका न्यायपूर्वक निर्णय करें। ....... न्याय करते समय किसी का पक्ष मत
लो। छोटे-बडे सब के मामले समान भाव से सुनो। किसी से नहीं डरो क्योंकि न्याय ईश्वर का
है। यदि तुम्हें कोई मामला कठिन मालूम पड़े, तो उसे मेरे सामने रखो, जिससे मैं उस पर
विचार कर सकूँ" (विधि विवरण ग्रन्थ, 1:15-18)।