2013-01-02 11:28:20

संत पापा की धर्मशिक्षा, 2 जनवरी, 2013


वाटिकन सिटी, 2 जनवरी, 2013 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, ख्रीस्त जयन्ती काल में हम येसु के जन्म की खुशी मना रहे हैं जिसने हमारे लिये एक आशा प्रदान की है जो हमारे जीवन और पूरी दुनिया को बदल सकती है।

प्रत्येक समारोह हमें इस बात के लिये प्रोत्साहित करता है कि हम येसु ईश्वर के एकमात्र पुत्र के पर पुनः चिन्तन करे जिन्होंने हमारी मुक्ति के लिये मानव रूप धारण किया।

येसु सचमुच ‘एम्मानुएल’ हैं अर्थात् ‘ईश्वर हमारे साथ’ जो कुँवारी मरियम से जन्म लिये।

जब हम विश्वास घोषणा में येसु के शरीरधारण के रहस्य का उच्चारण करते हैं तब हम श्रद्धा से अपना सिर झुकाते हैं।

इस समय हम इस बात को स्वीकार करते हैं कि येसु के शरीरधारण में तृत्वमय ईश्वर के तीनों जनों का विशेष हाथ रहा है। इसके साथ माता मरिया ने निःस्वार्थ भाव से इसमें सहयोग किया।

येसु का शरीरधारण सृष्टि की नयी रचना का आरंभ है। पवित्र आत्मा से गर्भ में पड़नेवाले येसु ख्रीस्त एक नये आदम हैं जिन्होंने मानवता को जल से बपतिस्मा देकर एक नया प्राणी बनाया है और इसलिये हम ईश्वर की संतान कहलाते हैं।

ख्रीस्त जयन्ती के पावन काल में हम मुक्तिदाता को अपने दिल में जगह दें ताकि वे हमारे कमजोर मन-दिल को मजबूत करें, हमें बदल डालें और हम नयी सृष्टि के आरंभ होने का साक्ष्य सहर्ष दे सकें।

इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

उन्होंने नोर्वे, जापान, वियेतनाम, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर नये वर्ष की शुभकामनायें और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।











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