वाटिकन सिटी, 29 दिसंबर, 2012 (वीआर, अंग्रेज़ी) वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदेरिको
लोमबारदी ने कहा कि संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का यह कहना कि प्रत्येक व्यक्ति के द्वैतवादी
स्वभाव के कारण ही वह या तो नर या नारी है, सही है।
उन्होंने कहा, "इसी द्वैतवादी
स्वभाव के कारण व्यक्ति माता-पिता और संतान का संबंध पाता है। यह मानव के लिये ईश्वरीय
योजना है। इसके विरुद्ध जाना सत्य को अस्वीकार करना है।"
वाटिकन प्रवक्ता ने
उक्त बात उस समय कही जब उन्होंने वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम ‘ऑक्तावा दियेस’
में संत पापा द्वारा उठाये गये दो मुद्दों के बारे में अपने विचार व्यक्त किये।
संत
पापा ने ‘परिवार और नर-नारी की पूरकता’ और वार्तालाप एवं सुसमाचार प्रचार के बारे में
हाल में अपने विचार दिये थे।
फादर लोमबारदी ने कहा कि जो व्यक्ति अपनी पहचान
का निर्णय खुद करता या अपने लिंग का परिवर्तन करता है एक विनाशकारी कदम उठाता है। ऐसा
करना प्रकृति की मनमानीपूर्ण हेरफेर करने का रास्ता खोलता है। ऐसा करना मानव गरिमा
के लिए घातक है और इसके गंभीर परिणाम होंगे विशेष करके बच्चों के लिये जिन्हें माना जाता
है कि उनके कोई अधिकारों नहीं हैं। बच्चे ऐसी वस्तुएँ है जिनपर दूसरों का अधिकार है।
संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि मानव परिवार के साथ मानव की गरिमा खतरे में
है। संत पापा की ये बातें सिर्फ़ काथलिक कलीसिया के लिये लागू नहीं होती, पर यह यहूदी
और ख्रीस्तीय दोनों ही परंपराओं में विद्यमान है।
फादर लोमबारदी ने कहा कि संत
पापा ने जिस अन्य बात पर बल दिया है वह है वार्ता और सुसमाचार प्रचार।
उनका मानना
है कि एक ख्रीस्तीय वार्तालाप इस आधार पर आरंभ करता है कि सत्य उसकी ख्रीस्तीय पहचान
पर कोई विपरीत असर नहीं डालेगा।
ऐसा इसलिये क्योंकि सत्य कोई ऐसी वस्तु नहीं
है जिसे कोई अपने पास होने का दावा कर सकते है। यह एक ऐसा वस्तु है पर जो जीवन का मार्गदर्शन
करता है।