एशिया में नवीन सुसमाचार प्रचार के लिए नवीकृत सुसमाचार प्रचारक
मुम्बई भारत 27 दिसम्बर 2012 (ई मेल) एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ (एफएबीसी)
की 10 वीं पूर्णकालिक बैठक 10 से 16 दिसम्बर तक वियतनाम के हुआन लोक और हो ची मिन्ह सिटी
में सम्पन्न हुई थ। इस बैठक में संत पापा के प्रतिनिधि के रूप में मनीला के सेवानिवृत्त
महाधर्माध्यक्ष गाउदेन्सियो कार्डिनल रोसालेस उपस्थित थे। बैठक के 111 प्रतिभागियों में
7 कार्डिनल, 69 धर्माध्यक्ष, 35 पुरोहित, धर्मसमाजी तथा लोकधर्मी थे। यह बैठक विशेष अवसर
था जब विश्वास के वर्ष का आरम्भ, द्वितीय वाटिकन महासभा के आरम्भ होने की 50 वीं वर्षगाँठ,
काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा के प्रकाशन की 20 वीं वर्षगाँठ तथा नवीन सुसमाचार प्रचार
पर विश्व के धर्माध्यक्षों की 23 वीं सामान्य धर्मसभा का समापन का भी संयोग था। इन घटनाओं
ने हमारे गहनतम अस्मिता के बारे में सचेत किया कि हम विश्वासी समुदाय हैं जिन्हें संसार
के सुसमाचारीकरण के मिशन के लिए प्रभु द्वारा बुलाया गया है। इस महान वरदान के लिए एफएबीसी
ईश्वर को धन्यवाद देते हुए एशिया में प्रेम और सेवा के मिशन को नवीनीकरण के लिए काम करना
जारी रखेगी। धर्माध्यक्षों द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि संस्कृतियों और
परम्पराओं से समृद्ध वियतनाम की जनता और सरकार द्वारा अर्पित आतिथ्य सत्कार और सहायता
के लिए वे कृतज्ञ हैं। चीन की काथलिक कलीसिया के प्रति सामुदायिकता और सह्दयता व्यक्त
करते हैं। धर्माध्यक्षों ने कठिन परिस्थितियों में भी लोकधर्मियों, पुरोहितों, धर्मसमाजियों
और समर्पित स्त्री पुऱूषों क्व द्वारा सुसमाचार प्रचार मिशन के लिए दिये जा रहे योगदान
की सराहना की। नवीन सुसमाचार प्रचार जिसे धन्य संत पापा जोन पौल द्वितीय ने शुरू किया
तथा संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें जोर देते हैं इसके मूल में है प्रभु तथा मुक्तिदाता येसु
का यथार्थ और निष्टापूर्ण साक्ष्य देना। वही आत्मा जिसने द्वितीय वाटिकन महासभा को अनुप्राणित
किया हमें आहवान करता है कि नवीन सुसमाचार प्रचार के लिए नवीकृत सुसमाचार प्रचारक बनें।
संदेश में कहा गया है कि नवीन सुसमाचार प्रचार की आध्यात्मिक को हमें जीने की जरूरत है।
इस आध्यात्मिकता के लिए धर्माध्यक्षों ने दस पहलूओं को रेखांकित किया है येसु ख्रीस्त
के साथ निजी साक्षात्कार, मिशन के लिए जुनून, ईश्वर के राज्य पर ध्यान, सामुदायिकता के
लिए समर्पण, संवाद-जीवन और मिशन का नमूना, विनम्र उपस्थिति, नबूवती सुसमाचार प्रचार,
पीडितों के प्रति सह्दयता, सृष्टि की देखरेख, विश्वास के लिए साहस और शहादत। एशिया
के धर्माध्यक्षों ने कहा कि विश्वास के वर्ष में तथा एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों
के संघ एफएबीसी की 40 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर वे एशिया में कलीसिया के सब लोगों से आग्रह
करते हैं कि नवीन सुसमाचार प्रचार के लिए विशेष जूनून को बढायें। एशिया में विश्व की
आबादी की 60 प्रतिशत जनता निवास करती है। येसु और हमारी माँ माता मरियम हमारे साथ रहें
ताकि एशिया के अरबों लोगों के सामने येसु का लघु समुदाय संकोची या भयभीत न हो। धर्माध्यक्षों
ने कहा कि एशिया के व्यापक संदर्भ में नवीन सुसमाचार प्रचार के मिशन की अपरिहार्य जरूरत
है। हर पल्ली, समुदाय और परिवार आध्यात्मिकता का विद्यालय बने। लोग गहन मनपरिवर्तन महसूस
करें तथा ऐसा दर्शन अपनायें जो ख्रीस्त के मन और मनोवृत्ति के सुसंगत हो। इसके लिए प्रभु
में जीवित विश्वास की जरूरत है।