2012-12-17 14:42:43

त्याग, तप, धैर्य और विनम्रता है जीत का रहस्य


वाटिकन सिटी, 17 दिसंबर, 2012 (सेदोक, वीआर) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने इताली नैशनल ओलिम्पक समिति के सदस्यों को 17 दिसंबर सोमवार को संबोधित करते हुए कहा उन्हें प्रसन्नता है कि इटली ने हाल में सम्पन्न लंदन ओलम्पिक में हिस्सा लिया।

संत पापा ने कहा,"अन्य देशों की तरह आपने ने भी प्रतियोगिता और तकनीकि संबंधी कई समस्यायें झेलीं पर इससे बढ़कर महत्वपूर्ण बात यह है कि आप लोगों ने समर्पण, कठिन परिश्रम अरवरत अभ्यास और अपनी सीमाओं के प्रति सचेत रह कर ओलम्पिक में हिस्सा लिया। आपने 28 तगमें हासिल किये जिसमें 8 स्वर्ण पदक शामिल हैं जो सराहनीय है।

संत पापा ने कहा,"हर खेल चाहे शौक या प्रतिस्पर्धी हो, निष्पक्षता, शरीर के सम्मान, एकजुटता, परोपकारिता, खुशी, प्रसन्नता और उत्सव मनाने से जुड़ी हुई हो। यह मानव के सच्चे विकास की यात्रा है जिसमें त्याग, तप, धैर्य और विनम्रता चाहिये और यही है जीत का रहस्य।"

खेल का लक्ष्य तब ही पूर्ण होगा जब यह मानव की सेवा करे। खेल-कूद शिक्षा और संस्कृति के लिये उपयोगी है। इससे मानव अपने आपको व्यक्त करता और जीवन के मूल्य को भी समझ पाता है।

संत पापा ने कहा,"विश्वास के वर्ष में खेलकूद व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से प्रतियोगी बना सकता है और व्यक्ति प्रत्येक दिन बुराई पर भलाई, मिथ्या पर सत्य और घृणा पर प्रेम से विजय प्राप्त कर सकता है।"

संत पापा ने धन्य पीयेर जिरजियो फ्रसाती की याद की जो एक पर्वतारोही थे और उन्होंने यह दिखाया कि ख्रीस्तीय प्रतियोगी होने का अर्थ है जीवन को प्यार करना, प्रकृति से प्यार करना और अपने पड़ोसी को प्यार करना।

संत पापा ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देते हुए कहा,"वे रोज दिन प्रगति करें और प्रत्येक दिन की प्रगति में अपार आनन्द का अनुभव करें।"












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