विश्व शांति दिवस 2013 के लिए संत पापा के संदेश की प्रकाशना
वाटिकन सिटी 14 दिसम्बर 2012 (सेदोक) काथलिक कलीसिया द्वारा पहली जनवरी 2013 को मनाये
जानेवाले 46 वें विश्व शांति दिवस के लिए संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें के सन्देश का लोकार्पण
14 दिसम्बर को वाटिकन प्रेस कार्यालय के संत पापा जोन पौल द्वितीय सभागार में किया गया।
उनके शांति संदेश का शीर्ष वाक्य है- धन्य हैं वे जो शांति निर्माता हैं।
संत
पापा ने कहा है कि द्वितीय वाटिकन महासभा के आरम्भ होने के 50 वर्षों के बाद यह महसूस
करते हुए हमें प्रसन्नता है कि ईसाई, ईश प्रजा के रूप में मानवता की खुशी और आशा, पीड़ा
और कष्टों में सहभागी होने के लिए समर्पित रहते हुए ख्रीस्त की मुक्ति की उदघोषणा करते
तथा सब लोगों के लिए शांति का प्रसार करते हैं।
संत पापा ने कहा कि वस्तुतः
वर्तमान युग में वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों तथा हिंसक संघर्षों एवं
युद्ध के खतरे माँग करती है कि सामान्य हित तथा सब लोगों के विकास के लिए सहभागितापूर्ण
समर्पण दिखायें। यह बहुत चिन्ताजनक है कि धनी-गरीब के बीच बढ़ती दूरी तथा स्वार्थ और
व्यक्तिवादी मानसिकता की प्रबलता जिसकी अभिव्यक्ति अनियंत्रित वित्तीय पूँजीवाद में भी
हो रही है इसके परिणामस्वरूप विश्व के अनेक भाग तनाव और संघर्ष की भूमि बन रहे हैं। आतंकवाद
के विभिन्न स्वरूप, अंतरराष्ट्रीय अपराध, कटटरपंथ और चरमपंथी विचारधारा जो धर्म की सच्ची
प्रकृति को विकृत करती है इन सबसे शांति को खतरा पहुँच रहा है।
संत पापा ने कहा
है कि विश्व में शाँति स्थापना के लिए किये जानेवाले विभिन्न प्रयास शांति के लिए मानवजाति
की आंतरिक बुलाहट का साक्ष्य है। शांति ईश्वर का उपहार तथा मनुष्य के परिश्रम का फल है।
सच्चे शांति निर्माता बनने के लिए यह मौलिक जरूरी है कि हमारे मन में पारलौकिक आयाम को
रखें और ईश्वर के साथ सतत् बातचीत करें ताकि बुराई के विभिन्न रूप जैसे- स्वार्थ, हिंसा,
लोभ, कब्जा करने की इच्छा, असहिष्णुता, नफरत और अन्यायपूर्ण संरचनाओं को दूर सकें।
संत
पापा ने कहा है कि शांति पाने का लक्ष्य इस तथ्य को स्वीकार करने पर निर्भर करता है कि
ईश्वर में हम सब एक मानव परिवार हैं। कोई भी व्यक्ति जो शांति से प्रेम करता है वह जीवन
के खिलाफ किये जानेवाले हमलों और अपराधों को सहन नहीं कर सकता।
संत पापा ने कहा
है कि गर्भपात के द्वारा निर्दोष और रक्षाविहीन शिशु की हत्या खुशी और शांति उत्पन्न
नहीं कर सकती है। जीवन के खिलाफ कोई भी अपराध विकास, शांति और पर्यावरण के लिए अपूरणीय
क्षति उत्पन्न करता है। उन्होंने एक पुरूष और एक महिला से निर्मित विवाह और उसपर आधारित
परिवार को बढावा दिया जाना चाहिए। शांति को बढावा देने के लिए उन्होंने कानून पद्धति,
न्याय दिलाने की शीघ्र व्यवस्था तथा व्यक्ति और समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर भी जोर
दिया है।
संत पापा ने किसानो को समर्थ बनाये जाने का आग्रह करते हुए विकास और
अर्थव्यवस्था के नये माडल विकसित किये जाने की जरूरत पर जोर दिया जो दशकों से चली आर
रही अधिकतम मुनाफा, अधिक उपभोग, घोर व्यक्तिवादी और स्वार्थी मानसिकता पर आधारित न हो
लेकिन व्यक्ति की बौद्धिक क्षमताओं तथा दक्षताओं को उपहार तथा भाईचारे की अभिव्यक्ति
के रूप में व्यक्त करे एवं जिसमें आर्थिक गतिविधियाँ जनहित के लिए हों।
संत पापा
ने शांति की संस्कृति के लिए शिक्षा के महत्व को देखते हुए परिवार और शिक्षण संस्थानों
की निर्णायक भूमिका पर बल दिया। उन्होंने शांति निर्माताओं की शिक्षा पद्धति में सहानुभूति,
सह्दयता, साहस और धैर्य की जरूरत पर जोर दिया है।
संत पापा ने धन्य जोन तेईसवें
का स्मरण करते हुए सब नेताओं के लिए काम की है कि वे जनता के भौतिक कल्याण की परवाह करने
के साथ ही शांति रूपी अनमोल उपहार सुनिश्चित करें। वे इसके लिए विभाजन करनेवाले कारकों
को दूर करें, परस्पर प्रेम के बंधन को मजबूत करें तथा क्षमा देकर समझदारी में बढ़ें.
संत पापा की आशा है कि सबलोग सच्चे शांतिनिर्माता बनें ताकि मानव समाज भाईचारा,
सौहार्द, समृद्धि और शांति में बढ़ता जाये।