2012-12-08 16:04:19

ईश्वरविहीन जीवन हिंसा पैदा करती


वाटिकन सिटी, 8 दिसंबर, 2012 (न्यूज़.वीए) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा, "अपने को विश्वास और मूल्यों से अलग कर लेना एक ऐसे सापेक्षवाद में छलाँग लगाना है जिससे हिंसा उत्पन्न होगी।"
उक्त बात संत पापा ने उस समय कही जब उन्होंने शुक्रवार 7 दिसंबर को 32 सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय ईशशास्त्रीय आयोग को वाटिकन में संबोधित किया।
संत पापा ने कहा, "जब सत्य के संदर्भ में बात करने की संभावना को अस्वीकार कर दिया जाता है तो चाहे वह खुला या बन्द हो, वार्ता बिल्कुल असंभव हो जाता है और यह मात्र मानव रिश्तों का शासन बन कर रह जाता है।"
संत पापा ने कहा मानव न्याय और शांति के प्रति समर्पित नहीं हो सकता है जबतक वह ईश्वर के प्रति खुला न रहे। व्यक्ति का उदारता व्यक्ति को उन सवालों का जवाब देने में सहायक होता है जो मानव जीवन को अर्थ प्रदान करते हैं।
संत पापा ने कहा कि ईश्वर और मानव के बीच यदि कोई बड़ी खाई बन जाती है तब ईश्वर की शक्ति से क्रूसित येसु द्वारा लायी गयी शांति ही एकता और भ्रातृत्व का मूल स्रोत बन जाती है।
संत पापा ने ऐसे लोगों के प्रति अपनी चिन्ता दिखायी जो एक ईश्वर पर विश्वास करने वालों के प्रति पूर्वभावना से ग्रसित हैं। वे सोचते हैं कि ऐसे धर्मावलंबी हिंसा का प्रचार करते हैं और एकमात्र विश्वास का समर्थन करते हैं।
संत पापा ने कहा कि ऐसे ही लोग इस विचार का भी प्रचार करते हैं कि अनेक भगवानों में विश्वास ही सहिष्णुता और शांति के प्रचारक है।
संत पापा ने ऐसे विचारों का विरोध किया और कहा कि येसु मसीह ने सदा ही किसी भी प्रकार की हिंसा का विरोध किया इसलिये किसी एक धर्म को हिंसा के लिये ज़िम्मेदार ठहराना उचित नहीं। कई बार ऐसी हिंसा के पीछे ऐतिहासिक कारण और मानव गलती का हाथ होता है।








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