मध्य पूर्व के काथलिक धर्माध्यक्षों और प्राधिधर्माध्यक्षों की अपील
हरीसा फीदेस 6 दिसम्बर2012 (फीदेस) मध्य पूर्व के काथलिक धर्माध्यक्षों और प्राधिधर्माध्यक्षों
की दूसरी बैठक हरीसा में 5 दिसम्बर को समाप्त हुई। जिसमें दो दस्तावेजों को स्वीकृति
प्रदान की गयी। इमरजेंसी की स्थिति के सामने काथलिक कलीसियाई नेताओं की मेषपालीय सेवा
तथा वर्तमान में अरब देशों में राजनैतिक सामाजिक और मानवतावादी अनुभवों पर है। पहला दस्तावेज
लम्बा तथा जटिल है जिसमें मध्य पूर्व में कलीसिया नामक प्रेरितिक दस्तावेज की शिक्षा
को निजी और सामुदायिक जीवन के हर पहलू में लाग करने के लिए कुछ व्यवहारिक रणनीतियों तथा
उपयोग सुझाव दिये गये हैं। मध्य पूर्व के धर्माध्यक्षों की धर्मसभा के बाद तैयार
किये गये प्रेरितिक दबोधन को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने हाल में सम्पन्न लेबनान दौरा
के समय क्षेत्र के धर्माधयक्षों को विश्वासियों को सौंपा था। दूसरे दस्तावेज में अंतरराष्ट्रीय
समुदाय और सदइच्छावाले सब लोगों से अपील करते हुए तीन बिन्दुणों पर ध्यान देने का आग्रह
किया गया है। पहला बिन्दु है- फिलीस्तीन के मुद्दे पर वैध और शांतिमय समाधान पाने
की अपरिहार्य जरूरत पर जोर दूसरा बिन्दु है- क्षेत्र के लोगों के जीवन को बाधित करनेवाली
हिंसा और संघर्ष को समाप्त करने की जरूरी अपील तथा मेलमिलाप और शांति के पथ को रखना जो
सबकी स्वतंत्रता की गारंटी दे तथा उनकी मानवीय मर्यादा की रक्षा करे तीसरा बिन्दु
है- मध्य पूर्व क्षेत्र में रहनेवाले ईसाईयों की पीड़ाएं। कलीसियाई नेताओं से आग्रह किया
गया है कि सामुदायिकता और पूर्ण सहयोग को मजबूती प्रदान करें ताकि क्षेत्र में ईसाईयों
की सक्रिय और प्रभावी उपस्थिति रहे एवं अरब समाज में उनकी स्थायित्व का प्रसार हो। मुसलमानों
से भी अपील की गयी है कि बंधु ईसाईयों की नागरिकता और अन्य सब अधिकारों की रक्षा करने
के लिए योगदान दें।