2012-12-06 16:05:19

एक हजार निर्धन गाँवों के लिए " प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना " आरम्भ


नई दिल्ली 6 दिसम्बर 2012 (ऊकान) भारत सरकार ने जनजाति और अनुसूचित जाति बहुल गावों के लिए विशेष कल्याणकारी स्कीम की घोषणा की लेकिन इसको सफलतापूर्वक लागू किये जाने के बारे में एक कलीसियाई अधिकारी को थोड़ा संदेह है।
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के जनजातीय विभाग के सचिव फादर स्तानिस्लास तिर्की ये.स. ने कहा कि स्कीम स्वागतयोग्य कदम है लेकिन उन्हें संदेह है कि यह केवल कागजी कार्रवाई तक रह जायेगी। भारत सरकार ने एक हजार गावों के समग्र विकास के लिए " प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना " आरम्भ किया है जहाँ आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय समूह या अनुसूचित जाति के सदस्य हैं। इस योजना का लक्ष्य पहले से चल रही केन्द्रीय और राज्य सरकार की स्कीमों को बेहतर तरीके से लागू करना है।
औसतन हर गाँव के लिए केन्द्रीय सरकार 20 लाख रूपये देगी तथा राज्य सरकार को भी इतनी ही राशि उपलब्ध करानी होगी। शुरू में यह योजना असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में लागू की जायेगी। सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के लिए राज्य मंत्री पी बलराम नायक ने कहा कि इस स्कीम के तहत तीन वर्षों के अंदर लक्ष्य पाने की योजना है।
फादर स्तानिस्लास ने कहा कि सरकार बड़े जोर शोर से योजनाओं के बारे में कहती है लेकिन इन्हें लागू करने में पीछे रहती है। उन्होंने कहा कि यद्यपि यह देर से उठाया गया कदम है तथापि जनजातीय समुदाय के विकास के लिए उठाये गये किसी भी कदम का स्वागत है। उन्होंने कहा कि कुछ जनजातीय समूह समाप्त होने के कगार पर हैं इसलिए उनकी रक्षा के लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे। उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि आदिवासियों की सामाजिक- आर्थिक सुरक्षा को सबसे पहले सुनिश्चित करने की जरूरत है। जनहित के नाम पर उनकी बलि नहीं दी जानी चाहिए।








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