2012-12-06 15:56:29

अमरीका के काथलिक परोपकारी संगठनों द्वारा संत पापा के आह्वान की पुर्नपुष्टि


वाशिंगटन डी सी 6 दिसम्बर 2012 (सीएनए) अमरीका में काथलिक परोपकारी संगठनों के नेताओं ने संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें के हाल में किये गये उस आह्वान की पुर्नपुष्टि की है जिसमें उन्होंने संगठनों से सुसमाचार में अपनी जड़ें गहरी रखने तथा जरूरतमंदों की सेवा करते समय अपनी काथलिक अस्मिता या पहचान को बनाये रखने की जरूरत पर बल दिया था।
अमरीकी काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन में मीडिया संबंध के सहायक निदेशक फादर क्लेमेर ने 5 दिसम्बर को सीएनए से कहा कि कलीसिया का परोपकार संबंधी काम प्रत्यक्ष रूप से ईश्वर के प्रेम से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि ईश्वर का प्रेम और पड़ोसी के लिए प्रेम गहन रूप से एक दूसरे से जुड़े हैं। यह शीर्षक हाल में जारी संत पापा के प्रेरितिक पत्र तथा सन 2005 में प्रकाशित विश्व पत्र " देऊस कारितास एस्त " में भी रेखांकित किया गया है। संत पापा ने हाल में दिये गये संदेश में कहा कि काथलिक परोपकारी समूहों या संगठनों को संगठित सामाजिक सहायता का दूसरा रूप मात्र नहीं होना चाहिए लेकिन उदारया या परोपकार लोगों के लिए यथार्थ प्रेम को अभिव्यक्त करे, ऐसा प्रेम जो ख्रीस्त के साथ निजी साक्षात्कार होने से अनुप्राणित है।
संत पापा द्वारा स्वप्रेरणा से रचित दस्तावेज जिसे मोतू प्रोपियो के नाम से कहा जाता है इसे पहली दिसम्बर को जारी किया गया जिसमें उन्होंने कलीसिया के उदारता या परोपकारी संगठनों के कामों को संचालित करने के लिए नये नियम या मार्गदर्शन जारी किये हैं।
कलीसिया के मिशन में काथलिक कलीसिया के लोकोपकारी या उदारता संबंधी काम सब विश्वासियों की सहभागिता है। ये पहल, विविध होते हैं तथापि कलीसिया की शिक्षा के सुसंगत हों तथा इस निष्ठा को सुनिश्चित करने के लिए धर्माध्यक्षों को जिम्मेदार होना चाहिए।
संत पापा ने धर्माध्यक्षों से कहा कि लोकोपकारी या परोपकार संबंधी प्रयासों को बढावा दें जिनकी जड़े सुसमाचारी आध्यात्मिकता में तथा काथलिक अस्मिता के प्रति निष्ठा पर है। यह सुनिश्चित करें कि ऐसे समूह कलीसियाई शिक्षा के प्रतिकूल न हों तथा विश्वासियों को भ्रम या त्रुटि की ओर न ले चलें। हाल के वर्षों में कुछेक परोपकारी संस्थानों की काथलिक पहचान या अस्मिता के बारे में चिंता व्यक्त की गयी हैं। यह भी भय है कि कुछ समूह विश्वास से अनुप्राणित कलीसियाई एजेंसी होने के स्थान में केवल धर्मनिरपेक्ष सेवा संगठन के रूप में काम कर रहे हैं।
अमरीका में सरकार के अनेक कानूनों तथा धर्मनिरपेक्ष समूहों के दबाव के कारण अनेक काथलिक संगठनों के काम का दायरा सीमित हो गया है। अनेक परोपकारी समूहों ने काथलिक पहचान को बनाये रखने हेतु अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का हनन को देखते हुए इसे चुनौती देने के लिए अदालत में अनेक याचिकाएँ दायर की हैं।








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