2012-12-03 12:01:31

संत पापा की धर्मशिक्षा, 7 नवम्बर, 2012


वाटिकन सिटी, 7 नवम्बर, 2012 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, ‘विश्वास वर्ष’ के अवसर पर हम आज के आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा में ‘विश्वास’ विषय पर चर्चा करना जारी रखें।

आज हम चिन्तन करें ईश्वर को पाने की मानव की उस रहस्यमय इच्छा के बारे में जो मानव के ह्रदय में व्याप्त है।

ईश्वर ने हमारी सृष्टि की ताकि हम उसके बने रहें। संत अगुस्टीन कहा करते थे हमारे ह्रदय तब तक अशांत रहते हैं जब तक हम प्रभु की शांति को नहीं पा लेते हैं।

आज जब दुनिया ईश्वर के प्रति उदासीन जान पड़ती है ऐसे समय में भी ईश्वर को पाने की इच्छा को, मानव गहराई से अनुभव करता है विशेष कर के जब वह दुनिया में प्रेम का अनुभव करता है।

जब भी हमने दूसरों को अपना प्यार दिखलाया है और दूसरों की भलाई की इच्छा रखी है हमने अनुभव किया है कि हम अपने-आप को दूसरों को दिया है। इस प्रक्रिया में हमने अपने ह्रदय में पवित्रता और शुद्धता का अनुभव किया है।

इसी प्रकार जब हम किसी के मित्र बनते हैं तब हमारे दिल में सत्य के लिय जीने और दूसरों का हित करने की इच्छा का अनुभव करते हैं।

सच्चाई और भलाई की खोज करते हुए हम यह अनुभव करते हैं कि यह एक प्रक्रिया है जो हमें उस रहस्य की ओर ले जाती है जिसकी पूर्णता को हम कभी भी पूर्ण रूप से समझ नहीं पाते हैं।

आज हम इस आध्यात्मिक ज्ञान के लिये ईश्वर को धन्यवाद दें क्योंकि ईश्वर को पाने की इसी तीव्र इच्छा से हमारा ह्रदय विश्वास का वरदान प्राप्त करेगा। विश्वास हमें सदा ही ईश्वर की ओर जाने को प्रेरित करेगा। इस तरह जब हम सभी अच्छाइयों के स्रोत- ईश्वर के करीब आयेंगे तो हमारे दिल की अभिलाषा पूरी होगी।

विश्वास के वर्ष में हम प्रार्थना करें कि जो भी दिल से ईश्वर को खोजते हैं उन्हें विश्वास से प्राप्त होने वाली खुशी और मुक्ति प्राप्त हो।

इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

तब संत पापा ने वियेतनाम से आये धर्म संबंधी इन्टरमिनिसटेरियेल प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों और जापान के संत पौल हाई स्कूल के विद्यार्थियों के का अभिवादन किया।

इसके बाद उन्होंने इंगलैंड और वेल्स, फिनलैंड, डेनमार्क, इंडोनेशिया, उत्तरी कोरिया, कनाडा और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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