2012-12-02 20:12:39

संत पापा की धर्मशिक्षा, 21 नवम्बर, 2012


वाटिकन सिटी, 21 नवम्बर, 2012 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, ‘विश्वास वर्ष’ के अवसर पर हम आज के आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा में ‘विश्वास’ विषय पर चर्चा करना जारी रखें।

पिछले सप्ताह हमने विश्वास और आशा के साक्ष्य देने के बारे में हमने जानकारी प्राप्त की। आज हम इस बात को जानें कि विश्वास ईश्वर की सत्यता को जानने के लिये आवश्यक है।

विश्वास के द्वारा हम ईश्वर तथा खुद के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं। विश्वास के द्वारा ही हम इस बात को जानते हैं कि हम प्रसन्न होने के लिये बुलाये गये हैं दूसरे जीवन में अनन्त आनन्द को प्राप्त करना है।

विश्वास स्वभावतः ज्ञान या समझदारी की तलाश करता रहता है। जब मन सत्य की खोज करता है तो उसे ईश्वर द्वारा प्रकट दिव्य वाणी से प्रेरणा, मार्गदर्शन और और स्वयं ईश्वर से मिलने की संतुष्टि प्राप्त होती है।

ईशपुत्र येसु मसीह और मुक्तिदाता के सुसमाचार का संदेश हमें सच्चे मानववाद का ज्ञान देता है मानव और विश्व को समझने का ‘व्याकरण’ या ‘प्राथमिक पाठशाला’ है।

विश्वास वर्ष में हम अपने मन और दिल खुला रखें ताकि ईश्वरीय सत्य के प्रकाश से लाभान्वित हो सकें जो मानव की मर्याता और उसके मिशन की व्याख्या करता है।

यहाँ इस बात को भी जानना उचित होगा कि विज्ञान और विश्वास बिना किसी टकराव के एक साथ चलते हैं और मानव को नैतिकता में बढ़ने में मदद देते ताकि मानव सृष्टि की रक्षा कर सके।

इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

तब संत पापा ने ईसाई-इस्लाम वार्ता के प्रतिनिधियों इंगलैंड और वेल्स के ‘काफोड’ नामक स्वयं सेवी संस्था के सदस्यों का अभिवादन किया।

इसके बाद उन्होंने इंगलैंड, श्री लंका और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।



















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