2012-12-02 20:17:26

संत पापा की धर्मशिक्षा, 14 नवम्बर, 2012


वाटिकन सिटी, 14 नवम्बर, 2012 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने वाटिकन स्थित पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, ‘विश्वास वर्ष’ के अवसर पर हम आज के आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा में ‘विश्वास’ विषय पर चर्चा करना जारी रखें।

पिछले सप्ताह हमने ‘ईश्वर को पाने की तीव्र इच्छा’ के बारे में हमने जानकारी प्राप्त की।

ईश्वर हमारी मदद हमेशा करते और हमारा साथ देते हैं ताकि हम उन्हें जानें और उनके साथ रहने के आन्तरिक आनन्द को प्राप्त करें।

आज जब लोग ईश्वर के प्रति उदासीन नज़र आते हैं विश्वास के बारे में चर्चा करना आसान नहीं लगता। हम आज एक व्यावहारिक नास्तिकता की चुनौती का सामना कर रहे हैं। हम ऐसे सोचने के प्रलोभन में दिखाई पड़ते हैं कि ‘ईश्वर नहीं हैं’।

फिर भी हमें इस बात को याद करना चाहिये कि अगर हमारे जीवन से ईश्वर को निकाल दिया गया तो मानव अस्तित्व कमजोर हो जायेगा।

हमें इस बात को याद करना चाहिये कि मानव मर्यादा इस बात पर निहित है कि ईश्वर ने हमारी सृष्टि की और हमें अपने साथ एक होने के लिये बुलाया है।

विश्वासी रूप में हमें अपने विश्वास और आशा का दृढ़तापूर्वक साक्ष्य देना चाहिये। हम यह तर्क कहाँ पाते हैं? निश्चिय ही हम इसे सृष्ट वस्तुओं और प्राणियों की व्यवस्था में ही देख सकते हैं। सृष्ट प्राणी ही अपने सृष्टिकर्ता के बारे में साक्ष्य देते हैं। मानव प्राणी के अंदर एक अभिलाषा या चाह है, जो अपने सृष्टिकर्ता को पाने से ही पूर्ण होती है। और जैसे-जैसे हम ईश्वर से एक होते जाते हैं विश्वास हमारे जीवन को आलोकित और नया बना देता है।

हमारे जीवित विश्वास के साक्ष्य से लोग उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के निकट आयें और उन्हें प्यार करें जिन्होंने अपने को प्रभु येसु में प्रकट किया है।

इतना कह कर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

तब संत पापा ने स्वास्थ्य सेवा के लिये बनी परमधर्मपीठीय परिषद के सदस्यों यूरोपीय एल-शद्दाई के सदस्यों और वेस्टमिनस्टर कथीड्रल की गायक मंडली के सदस्यों का अभिवादन किया।

इसके बाद उन्होंने इंगलैंड, जिब्रालटर, डेनमार्क, दक्षिण अफ्रीका, हाँककाँग, जापान और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।


















All the contents on this site are copyrighted ©.