इस्लामाबाद पाकिस्तान 20 नवम्बर 2012 (एशिया न्यूज) पाकिस्तान में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय
ने कुरान के कुछ अंश लिखे गये पन्नों को जलाने के आरोप में ईसाई किशोरी रिमशा मसीह के
खिलाफ लगाये गये ईशनिन्दा मामले को खारिज कर दिया है। रिमशा पर लगाये गये ईशनिन्दा आरोप
के द्वारा एक इमाम ने अपने क्षेत्र से ईसाईयों को भगाकर उनकी सम्पत्ति पर कब्जा करना
चाहा था। इमाम खालिद जदून चिश्ती द्वारा लगाये गये आरोप पर रिमशा मसीह को अगस्त माह में
गिरफ्तार किया गया था। मुसलमान चरमपंथियों की भीड़ द्वारा रिमशा और उसके परिजनों की हत्या
करने के प्रयासों को देखते हुए रिमशा को कड़ी सुरक्षा व्यस्था में जेल में रखा गया था।
ईशनिन्दा आरोप के कारणकुद्ध भीड़ के हमलों से बचने के लिए इस्लामाबाद सेक्टर जी 12 के
ऊमारा जफर क्षेत्र से लगभग 600 ईसाई परिवारों ने पलायन किया था। रिमशा की कम आयु
तथा ईशनिन्दा आरोप की प्रकृति को देखते हुए इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में व्यापक
स्तर पर चिंता व्यक्त की गयी। रिमशा की रिहाई के समर्थन में पाकिस्तान में राष्ट्रीय
सौहार्द के लिए विशेष सलाहकार मंत्री पौल भटटी, इस्लामाबाद के धर्माध्यक्ष मान्यवर रूफीन
अंतोनी तथा अनेक मुसलमान बुद्धिजीवियों ने भी अभियान चलाया था। दूसरी ओर चरमपंथी
समूहों का दावा था कि लड़की बालिग है तथा उसे सज़ा मिलनी चाहिए लेकिन अदालत द्वारा निर्धारित
डाक्टरों ने कहा कि वह 14 साल की किशोरी है और इसलिए जमानत पर रिहा की जा सकती है। कुद्ध
भीड़ के डर से रिमशा के परिवार के सदस्यों को कुछ समय अज्ञातवास करना पडा। इस मामले में
कई बार सुनवाई स्थगित की गयी तथा समाधान सामने आने लगा जब तीन गवाहों ने कहा कि इमाम
के कहने पर सब कुछ किया गया था ताकि गुप्त योजना के तहत ईसाई परिवारों को क्षेत्र से
बाहर निकालकर उनकी सम्पत्ति पर कब्जा पाया जा सके। इमाम पर झूठे साक्ष्य गढने के आरोप
में मामला चलाया जाना शेष है। जनरल जिया उल हक द्वारा सन 1986 में लागू किये गये
ईशनिनदा कानून के कारण अबतक लगभग एक हजार लोगों पर ईशनिन्दा के आरोप लगाये गये हैं तथा
60 लोग मारे गये हैं। इन्में अधिकांश लोग न्यायिक प्रक्रिया से परे कुद्ध भीड़ या अन्य
लोगों द्वारा मारे गये हैं। रिमसा की रिहाई पर न्यायालय के फैसले पर दोहरी प्रसन्नता
व्यक्त करते हुए मंत्री पौल भटटी ने कहा कि कानून का उपयोग निजी उपयोग के लिए नहीं किया
जा सकता है तथा जो भी इसका दुरूपयोग करता है वह इसी प्रकार की न्यायिक कार्यवाही का सामना
करेगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले का उपयोग कानून की समीक्षा करने के लिए नहीं लेकिन
इसकी व्याख्या की समीक्षा करने के लिए की जाएगी। वे आशावादी हैं कि समाज बदल रहा है।