2012-11-19 14:55:55

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी 19 नवम्बर 2012 (सेदोक, जेनिथ) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 18 नवम्बर को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में उपस्थिति देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

पूजनधर्मविधि वर्ष के इस अंतिम रविवार में, येसु की शिक्षा अंतिम समय के बारे में है जिसका पठन ख्रीस्तयाग के दौरान संत मारकुस रचित सुसमाचार के अध्याय 13 के 24 से 32 तक में किया गया। मानव पुत्र का पुनरागमन यह प्रवचन कुछ भिन्नताओं के साथ संत मत्ती और संत लुकस के सुसमाचार में भी पाया जाता है तथा संभवतः सुसमाचारों में यह सबसे कठिन पाठ है।

यह कठिनाई विषयवस्तु और भाषा दोनों स्तर पर है। येसु ऐसे भविष्य के बारे में कहते हैं जो हमारे संवर्ग से परे है और इसी कारण से येसु पुराने विधान से लिये गये प्रतीकों और शब्दों का प्रयोग करते हैं, महत्वपूर्ण है, वे एक नये केन्द्र, स्वयं को, अपनी मृत्यु और पुनरूत्थान के रहस्य को शामिल करते हैं।

आज का सुसमसाचार पाठ भी कुछ ब्रह्मांडीय प्रतीकों के साथ आरम्भ होता है जो प्रकाशना या भविष्यसूचक प्रकृति का हैं। सूर्य अंधकारमय हो जायेगा, चन्द्रमा प्रकाश नहीं देगा। तारे आकाश से गिर जायेंगे और आकाश की शक्तियाँ विचलित हो जायेंगी। लेकिन इन तत्वों का सापेक्षीकरण होता है जिसके आगे कहा गया है- मानव पुत्र को अपार सामर्थ्य और महिमा के साथ बादलों पर आते हुए देखेंगे। येसु, मानव पुत्र हैं जो वर्तमान को भविष्य के साथ जोड़ते हैं। नबियों के द्वारा प्राचीन काल में कहे गये शब्दों ने अंततः नाजरेथ के मसीह के व्यक्ति में केन्द्र पाया है। वे केन्द्रीय घटना हैं, संसार की कठिनाईयों के मध्य भी, सुदृढ़ और अचल बिन्दु हैं।

आज के सुसमाचार से अन्य वाक्यांश पुष्टि करता है। येसु कहते हैं- आकाश और पृथ्वी टल जायें तो टल जायें परन्तु मेरे शब्द नहीं टल सकते। वस्तुतः हम जानते हैं कि बाइबिल में ईश्वर का शब्द सृष्टि की उत्पत्ति में है, जो ब्रह्मांड के तत्वों के साथ आरम्भ होता है- सूर्य, चन्द्रमा, आकाश ईश्वर के शब्द को मानते हैं उनका अस्तित्व है जैसा कि वे कहे जाते हैं। दिव्य शब्द की यह सृजनात्मक शक्ति येसु ख्रीस्त में केन्द्रित है, शब्द ने देह धारण किया तथा उनके मानवीय शब्दों से अग्रसारित होती है जो यथार्थ आकाश है तथा पृथ्वी पर मानव के पथ और विचार को दिशा प्रदान करता है। इसी कारण से येसु संसार के अंत का वर्णन नहीं करते हैं तथा जब वे भविष्यसूचक प्रतीकों का उपयोग करते हैं वे स्वयं को भविष्यदृष्टा के जैसा नहीं दिखाते हैं. इसके विपरीत, वे हर युग में समय और पूर्वानुमानों तथा कामनाओं के बारे में अपने शिष्यों के विस्मय और कौतुहल को दूर करना चाहते हैं ताकि उन्हें गहरा और अपरिहार्य पठन की कुँजी प्रदान करें तथा सबसे ऊपर, अनन्त जीवन में प्रवेश करने के लिए, आज और कल, सही पथ लेने की ओर इंगित करते हैं। प्रभु कहते हैं सब कुछ टल जायेगा लेकिन ईश्वर का वचन अपरिवर्तनशील है, और इस शब्द के सामने हम में से प्रत्येक जन अपने आचरण के लिए जिम्मेदार है। इसी आधार पर हम सबका न्याय किया जायेगा।

प्रिय मित्रो, हमारे समय में भी प्राकृतिक आपदाओं और दुर्भाग्य से युद्ध और हिंसा की भी कमी नहीं है। आज भी हमारे जीवन और हमारी आशा के लिए सुदृढ़ आधार की जरूरत है क्योंकि पहले से कहीं अधिक सापेक्षवाद है जिसमें हम आकंठ डूबे हैं। कुँवारी माता मरिया इस केन्द्र के रूप में येसु और उनके शब्द को स्वीकार करने में हमारी सहायता करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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