रोमः "साम्यवाद ने केवल धर्म को ही नहीं बल्कि स्लोवेनिया के इतिहास को भी नकारा
रोम, 13 नवम्बर सन् 2012 (सेदोक): रोम में स्लोवेनिया तथा वाटिकन के कूटनीतिज्ञों के
सम्मेलन में कार्डिनल आन्जेलो सोदानो ने कहा कि साम्यवाद ने केवल कलीसिया के लिये ही
समस्याएँ नहीं उत्पन्न की बल्कि स्लोवेनिया के इतिहास से भी इन्कार किया। सोमवार
को, रोम के पियात्सा देला मिनेरवा स्थित परमधर्मपीठीय कलीसियाई अकादमी में, परमधर्मपीठ
तथा स्लोवेनिया के बीच स्थापित कूटनैतिक सम्बन्धों की 20 वीं वर्षगाँठ मनाई गई। इस अवसर
पर स्लोवेनिया एवं वाटिकन के वरिष्ठ कूटनैतिक अधिकारियों सहित स्लोवेनियाई गणतंत्र के
राष्ट्रपति आलोईस पेटरले तथा परमधर्मपीठ की ओर से, वाटिकन राज्य के पूर्व सचिव, कार्डिनल
आन्जेलो सोदानो ने भाग लिया। कार्डिनल सोदानो ने इस अवसर पर अपने प्रभाषण में कहा,
"स्लोवेनिया एवं काथलिक कलीसिया की पवित्र पीठ के मध्य सम्बन्धों का इतिहास शताब्दियों
पुराना रहा है जो 20 वीं शताब्दी में, यूगोस्लाविया में साम्यवाद के उदय से भंग हो गया
था। तथापि, साम्यवाद के पतन से यह सिद्ध हो चुका है कि जनता की स्वतंत्रता को दबाया नहीं
जा सकता।" कार्डिनल सोदानो ने कहा कि पूर्वी यूरोप में 70 वर्ष तक साम्यवाद का बोलबाला
रहा जिसमें लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता कुण्ठित हुई तथा उनके मानवाधिकारों पर प्रहार
किया गया। तथापि, सन् 1989 में बर्लिन की दीवार गिर जाने के बाद स्वतंत्रता की लहर चल
पड़ी तथा तानाशाही के जड़े उखड़ गई। सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय के शब्दों को उद्धृत
कर उन्होंने कहा कि निश्चित्त रूप से, नाज़ी शासन के अधीन यूरोप में चला युद्ध घोर विनाशक
था जिसमें साढ़े पाँच करोड़ लोगों के प्राण चले गये थे किन्तु उसी की तरह भयावह था साम्यवादी
काल जिसमें मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ तथा लगभग चार करोड़ लोगों को मौत के घाट
उतार दिया गया। उन्होंने कहा कि सन् 1989 ई. में यूरोप में स्वतंत्रता का एक नया
अध्याय शुरु हुआ जिसकी रक्षा के लिये यूरोप के हर नागरिक को प्रयास करना चाहिये। सन्
1990 में स्लोवेनिया ने भूतपूर्व यूगोस्लाविया से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। 25 जून,
सन् 1991 ई. को स्लोवेनिया एक गणतंत्र रूप में प्रतिष्ठापित हुआ था तथा 13 जनवरी सन्
1992 ई. को स्लोवेनिया तथा परमधर्मपीठ के बीच पूर्ण कूटनैतिक सम्बन्धों की स्थापना हो
गई थी।