2012-11-12 13:55:02

सीमाओं के बावजूद बुढ़ापा ईश्वर का एक वरदान


वाटिकन सिटी, 12 नवम्बर, 2012 (सेदोक, वीआर) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें सोमवार 12 नवम्बर को संत एजिदियो समुदाय द्वारा चलाये जा रहे ‘लॉंग लिव दि एल्डरली’ नामक ‘होम फॉर दि एजेड’ संस्थान गये और लोगों से मुलाक़ात की की।

उपस्थित वयोवृद्धों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "बुढ़ापा भी कुछ कमियों और सीमाओं के बावजूद ईश्वर का एक वरदान है" उन्होंने कहा, "मैं वयोवृद्धों के इस समुदाय में रोम के धर्माध्यक्ष रूप में तो आये हैं पर एक ऐसे वयोवृद्ध के रूप में भी यहाँ उपस्थित हैं जो वृद्धों के दुःखों को समझते हैं।"

संत पापा ने कहा, "आपका जीवन कभी भी उदासी के बंधन से न बँध जाये। आप अपने जीवन के हर काल में ईश्वर की उपस्थिति और आशिष की खोज करें।"

पवित्र धर्मग्रंथ बाईबिल में कहा गया है कि लम्बी आयु ईश्वर का वरदान है पर आज का समाज बूढ़ों को बेकार या बिना काम के समझने लगते हैं। मैं आप लोगों से अपील करता हूँ कि आप इस बात का प्रयास करे कि वृद्ध अपने बुढ़ापेकाल में अपने ही घर में रहें।

संत पापा ने कहा कि किसी भी समाज के सभ्यता की परख इससे होती है कि समाज के लोग अपने बुजूर्गों का कितना सम्मान करते और उनके साथ कैसा वर्ताव करते हैं। जो बुजूर्गों का सम्मान करते वे जीवन का स्वागत करते हैं।

हम वृद्ध हो जाते हैं पर जीवन का मर्यादा और मूल्य इससे समाप्त नहीं हो जाता। ईश्वर हमारे जीवन की हर अवस्था में हमें प्यार करते हैं। ईश्वर के लिय हर व्यक्ति महत्वपूर्ण और आवश्यक है।
संत पापा ने कहा कि मानव का पूर्ण विकास तब ही संभव है जब उसका अपने बुजूर्गों के साथ फलदायी संबंध रहा हो क्योंकि बढ़ों का जीवन एक खुली किताब के समान रहा है जिससे युवा जीवन पथ में आगे बढ़ने का मार्गदर्शन पा सकते हैं।

संत पापा ने बूजूर्गों को प्रोत्साहन देते हुए कहा कि आप दुःख और बीमारी के बावजूद समाज की पूँजी है और आपका जीवन ईश्वर के साथ गहरा संबंध बनाने का सुअवसर है जैसा कि धन्य संत पापा जोन पौल द्वितीय ने किया।

आप के पास सबसे बड़ी शक्ति है, प्रार्थना की। आप अनवरत और पूरे विश्वास के साथ प्रार्थना कीजिये करते हुए संत पापा ने वयोवृद्धों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।










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