2012-11-12 10:04:57

वाटिकन सिटीः देवदूत प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


वाटिकन सिटी, 12 नवम्बर 2012 (सेदोक): वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रविवार, 11 नवम्बर को, देश विदेश से एकत्र तीर्थयात्रियों को, मध्यान्ह देवदूत प्रार्थना के पाठ से पूर्व सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें इस प्रकार सम्बोधित कियाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

इस रविवार की धर्मविधि के लिये निर्धारित बाईबिल पाठ, हमारे समक्ष, दो विधवाओं को विश्वास के आदर्श रूप में प्रस्तुत करते हैं। ये पाठ प्राचीन व्यवस्थान के राजाओं के प्रथम ग्रन्थ के 17 वें अध्याय के 10 से 16 तक के पदों तथा सन्त मारकुस रचित सुसमाचार के 12 वें अध्याय के 41 से 44 तक के पदों में समानतर रूप से प्रस्तुत हैं।

सन्त पापा ने कहा, ..... "ये दोनों ही महिलाएँ बिलकुल निर्धन हैं, और उनकी इसी अवस्था में, वे विश्वास का महान साक्ष्य प्रस्तुत करती हैं। पहली महिला की चर्चा नबी एलिया द्वारा कही गई बातों में होती है। अकाल के समय, नबी एलिया को, प्रभु से आदेश मिला था कि वे सिदोन जायें, अर्थात् उस भूमि में जायें जो इसराएल से बाहर, मूर्तिपूजकों एवं ग़ैरविश्वासियों की भूमि थी। वहीं नबी का साक्षात्कार एक विधवा से हो गया जिससे उन्होंने पीने के लिये पानी मांगा तथा खाने के लिये कुछ रोटियाँ। विधवा ने जवाब दिया कि उसके पास तो केवल एक मुट्ठी आटा और एक बून्द तेल बचा था किन्तु नबी के ज़ोर देने पर तथा आश्वासन देने पर कि यदि वह उनकी सुनेगी तो आटा और तेल कभी कम नहीं पड़ेगा, विधवा नबी की सुनती और उसका पुरस्कार पाती है।"

सन्त पापा ने कहा, ..... "दूसरी विधवा यानि सुसमाचार की विधवा, जैरूसालेम के मन्दिर में दान पेटी के पास खड़े प्रभु येसु को दिखती है जहाँ लोग चन्दा डाला करते थे। येसु देखते हैं कि यह महिला दान पेटी में दो सिक्के डालती है; इसपर वे अपने शिष्यों को बुलाते हैं तथा समझाते हैं कि विधवा का दान धनसम्पन्न लोगों के दान से कहीं अधिक बढ़कर है क्योंकि, एक ओर जहाँ इन लोगों ने अपनी जेब से बचे हुए पैसे दान पेटी में डाले वहीं विधवा ने वह सब कुछ दे दिया जो उसके पास था, वह सबकुछ जो जीने के लिये उसके पास था" (मारकुस 12-44)।

सन्त पापा ने आगे कहा, ..... "बाईबिल धर्मग्रन्थ के इन दो वृत्तान्तों से ................ हम विश्वास सम्बन्धी अनमोल शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। यह उस व्यक्ति के आन्तरिक मनोभाव के सदृश है जिसका अपना जीवन ईश्वर पर निर्भर है, उनके वचन की नींव पर निर्मित है तथा उनमें पूर्ण विश्वास की अभिव्यक्ति करता है। प्राचीन व्यवस्थान की विधवा निपट निर्धनता में जीवन यापन कर रही थी और ज़रूरतमन्द थी। यही कारण है कि बाईबिल में विधवाएँ और अनाथ बच्चे वे जन हैं जिनकी ईश्वर, विशेष, देखभाल करते हैं: उन्होंने भौतिक एवं दुनियाबी समर्थन गँवा दिया है, किन्तु ईश्वर उनके वर हैं, ईश्वर उनके माता पिता और अभिभावक हैं। हालांकि, बाईबिल में इस तथ्य पर भी बल दिया गया है कि ज़रूरत की वस्तुनिष्ठ स्थिति ही अर्थात्, इस प्रकरण में, केवल विधवा होना ही पर्याप्त नहीं हैः ईश्वर चाहते हैं कि हम स्वतंत्र रूप से विश्वास करें, ऐसा विश्वास जो ईश्वर के प्रति तथा पड़ोसी के प्रति प्रेम में अभिव्यक्त होता है। कोई भी व्यक्ति इतना भी अधिक निर्धन नहीं है कि कुछ दे ही न पाये।

सन्त पापा ने आगे कहा, "वस्तुतः, आज की दोनों विधवाएँ उदारता के कृत्यों का सम्पादन कर विश्वास की अभिव्यक्ति करती हैं, पहली, नबी के प्रति उदार रहकर और दूसरी, दान पेटी में चन्दा डालकर। इस प्रकार वे विश्वास एवं उदारता के बीच विद्यमान घनिष्ठ सम्बन्ध को पुष्ट करती हैं, ठीक वैसे ही जैसे विगत रविवार के सुसमाचार में हमें याद दिलाया गया था कि ईश्वर के प्रति प्रेम तथा पड़ोसी के प्रति प्रेम के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है। सन्त पापा लियो महान जिनका पर्व हमने कल मनाया, कहते हैं: "ईश्वरीय न्याय के तराज़ू में दान के भार को नहीं तोला जाता अपितु हृदय के भार को तोला जाता है। सुसमाचार की विधवा द्वारा दान पेटी में डाले गये दो दो सिक्के समस्त धनसम्पन्न लोगों के दान से श्रेष्ठ सिद्ध हुए। अस्तु, ईश्वर के समक्ष भलाई का कोई भी कृत्य निरर्थक नहीं है, कोई भी दया का कार्य निष्फल नहीं होता है (Sermo de jejunio dec.men.90,3) ।

उन्होंने आगे कहा, "पूर्ण विश्वास के साथ अपना सर्वस्व ईश्वर के सिपुर्द करने का सर्वोत्तम उदाहरण कुँवारी मरियम हैं; इसी विश्वास को मन में लिये उन्होंने देवदूत से कहा थाः "मैं ईश्वर की दासी हूँ" तथा प्रभु की इच्छा को स्वीकार कर लिया था। विश्वास को समर्पित इस वर्ष के दौरान, मरियम हममें से प्रत्येक की मदद करें ताकि हम ईश्वर एवं उनके वचन में अपने विश्वास को सुदृढ़ कर सकें।"

इतना कहकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सबके प्रति मंगलकामनाएँ अर्पित कीं तथा सभी पर ईश्वर की कृपा एवं शांति का आह्वान कर, सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। ...............

तदोपरान्त सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया, अँग्रेज़ी भाषा में उन्होंने कहा, "आज देवदूत प्रार्थना के लिये उपस्थित सभी अँग्रेज़ी भाषी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन करते, मैं, अत्यधिक हर्षित हूँ।....... आज के सुसमाचार में, निर्धन विधवा के पास जो कुछ था वह सब उसने मन्दिर को दान कर दिया। उसका निःशर्त अर्पण हम सबको, सभी वस्तुओं को उनकी उचित जगह एवं उनका उचित मूल्य देते हुए, केवल ईश्वर पर निर्भर रहने की प्रेरणा प्रदान करे। प्रभु ईश्वर की विपुल आशीष आप सबपर बनी रहे।"








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