वाटिकन सिटी, 5 नवम्बर, 2012 (वीआर, अंग्रेज़ी) प्रत्येक आर्थिक क्रिया का एक नैतिक
पक्ष है क्योंकि अर्थव्यवस्था मानव क्रिया है। नीति शास्त्र नैतिक क्रिया नहीं है पर
अर्थव्यवस्था के साथ आन्तरिक रूप से जुड़ी हुई है।
उक्त बात वाटिकन सेक्रटरी कार्डिनल
बेरतोने ने उस समय कही जब उन्होंने 3 नवम्बर शनिवार शाम को ‘नीति, अर्थव्यवस्था और समाज’
विषय पर इटली के कुनेव प्रांत में आयोजित एक सेमिनार के प्रतिनिधियों को संबोधित किया।
कार्डिनल ने कहा कि ख्रीस्तीय प्रेरणाप्राप्त अर्थशास्त्री लोगों को इस बात को
आसानी से समझा सकते हैं कि आर्थिक निर्णयों से नैतिकता प्रभावित होती है इसलिये यह एक
व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी है।
आज दुनिया सिर्फ़ आर्थिक समस्या नहीं झेल रही है पर
नैतिक समस्याओं से भी घिरी है। यह एक ऐसी समस्या है जो मानव के हित के लिये नहीं है।
इसे शून्यवाद या व्यक्तिवादी नैतिकता कहा जा सकता है।
आज नैतिकता और अर्थव्यवस्था
के बीच में संतुलन लाने की आवश्यकता है साथ ही इसके लिये भ्रातृत्व के सिद्धांत को लागू
किया जाना चाहिये।
कार्डिनल बेरतोने ने संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें के शब्दों
को उद्धृत करते हुए कहा कि "मानवाधिकार की नींव है प्राकृतिक नियम जो मानव के दिल में
लिखी हुई है और यह विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं में छिपी हुई है। मानवाधिकारों के
संदर्भ को हटा देना उसकी ताकत को कम करना और सापेक्षवादी संकल्पना के सामने घुटने टेकना
है।"
यूरोप की नैतिक समस्या के बारे में बोलते हुए कार्डिनल बेरतोने ने कहा कि
यूरोपवासी रूप में हमें चाहिये कि हम वैसी नैतिकता की नींव डालें जिसके द्वारा यूरोप
ने मानवाधिकार, मर्यादा और मानव का सम्मान को उचित स्थान प्रदान किया था।
उन्होंने
कहा कि जब तक यूरोप नैतिकता और राजनीति के उचित संबंध को नही पा लेता और इसमें धर्म की
भूमिका को नहीं पहचान लेता, आज की समस्या को समाधान संभव नहीं है।