वाटिकन सिटीः आप्रवासी समाज के सक्रिय सदस्य, बेनेडिक्ट 16 वें
वाटिकन सिटी, 30 अक्टूबर सन् 2012 (सेदोक): 99 वें विश्व आप्रवास दिवस के लिये सन्त पापा
बेनेडिक्ट 16 वें के सन्देश का शीर्षक है "आप्रवास, विश्वास और आशा की तीर्थयात्रा"।
इस सन्देश में सन्त पापा ने इस बात पर बल दिया है कि आप्रवासी समाज के सक्रिय सदस्य हैं
इसलिये उनके भी समान दायित्व एवं समान अधिकार होने चाहिये। सोमवार को वाटिकन में
आप्रवासियों एवं पर्यटकों की प्रेरिताई में संलग्न परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल
अन्तोनियो मरिया वेलियो ने विश्व आप्रवास दिवस के लिये लिखे सन्त पापा के सन्देश की प्रकाशना
की। 99 वाँ विश्व आप्रवास दिवस 13 जनवरी, सन् 2013 को मनाया जायेगा। सन्देश की प्रस्तावना
में कार्डिनल वेलियो ने कहा कि यह मान लेना कि आप्रवासी केवल आर्थिक लाभ के लिये अपने
घरों को छोड़कर अन्य देशों में आकर बस जाते हैं एकपक्षीय एवं सरल आकलन होगा। उन्होंने
कहा कि सन्त पापा का सन्देश इस बात पर बल देता है कि अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये
आप्रवासी विदेशों में आकर कड़ी मेहनत करते हैं किन्तु इसके अतिरिक्त, वे अपने साथ अपनी
परम्पराएँ एवं समृद्ध संस्कृति को लाते हैं जो मेज़बान देशों को समृद्ध बनाती है। सन्देश
में सन्त पापा ने कहा है आज लाखों लोग आप्रवासी हैं जो विदेशों में आकर नौकरियाँ करते
हैं किन्तु प्रायः अपने अधिकारों से वंचित रहते हैं। इनके प्रति एकात्मता का उन्होंने
आह्वान किया है। कार्डिनल वेलियो ने 2011 की विश्व आप्रवास रिपोर्ट का हवाला देकर बताया
कि विश्व में आज एक अरब से अधिक लोग आप्रवासी हैं इसका अर्थ है कि विश्व की जनसंख्या
का सातवाँ भाग आप्रवासी है। इस बात पर बल देते हुए कि आप्रवासियों को उनके दायित्वों
से अवगत कराने के साथ साथ उनके अधिकार भी मिलने चाहिये सन्त पापा ने अपने सन्देश में
मेज़बान देशों का आह्वान किया कि वे आतिथ्य एवं एकात्मता भाव से परिपूर्ण होकर आप्रवासियों
की मानव प्रतिष्ठा को पहचानें तथा समाज में उनके एकीकरण का हर सम्भव प्रयास करें।