2012-10-25 09:13:40

प्रेरक मोतीः सन्त क्रिज़ान्तुस एवं सन्त दारिया (तीसरी शताब्दी)


वाटिकन सिटी, 25 अक्टूबर सन् 2012:

क्रिज़ान्तुस मिस्र के निवासी तथा आरम्भिक ख्रीस्तीय कलीसिया के सदस्य थे। उनके पिता पोलेमियुस एक अभिजात मिस्री परिवार के थे। सम्राट नुमेरियन के शासन काल में पोलेमियुस अपने बेटे को मिस्र से रोम ले आये थे। पिता की इच्छा के विरुद्ध, युवा क्रिज़ानतुस ने रोम में बपतिस्मा ग्रहण कर ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया था। उन्होंने एक ग्रीक दासी तथा मिनेरवा की पुजारिन दारिया से विवाह रचा लिया था। क्रिज़ान्तुस के पद चिन्हों पर चल दारिया ने भी ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया था तथा दोनों ने ब्रहम्चर्य एवं शुद्धता का पालन करते हुए अपना वैवाहिक जीवन व्यतीत करने का प्रण कर लिया था।

पति-पत्नी ने रोम में अनेकों का मनपरिवर्तन किया तथा उन्हें प्रभु येसु के सुसमाचार का प्रकाश दिखाया। उनकी लोकप्रियता रोमी साम्राज्य के कर्मचारियों की ईर्ष्या का कारण बन गई तथा उन्होंने उनकी शिकायत क्लाऊदियुस के न्यायालय में कर दी। ख्रीस्तीय विश्वास के कारण क्रिज़ान्तुस एवं दारिया को अत्यधिक उत्पड़ित किया गया तथा कारावास में डाल दिया गया। घोर उत्पीड़न के समय क्रिज़ान्तुस एवं दारिया के धैर्य से न्यायाधीश क्लादियुस इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी धर्मपत्नी हिलारिया तथा सत्तर सैनिकों सहित ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया। बताया जाता है कि ये सभी सम्राट द्वारा मौत के घाट उतार दिये गये।

क्रिज़ान्तुस जब बन्दीगृह में वेदना सह रहे थे तब सम्राट नूमेरियन ने दारिया को वेश्यावृत्ति के लिये एक कोठे पर भेज दिया था जहाँ चमत्कारवश एक शेरनी द्वारा उनकी रक्षा होती रही थी। बाद में सम्राट नूमेरियन के आदेश पर क्रिज़ान्तुस और दारिया को पत्थरों से मारने के बाद रोम में ज़िन्दा दफ़ना दिया गया था। तीसरी शताब्दी के शहीद सन्त क्रिज़ान्तुस एवं सन्त दारिया का पर्व 25 अक्टूबर को मनाया जाता है।


चिन्तनः चिन्तनः "धन्य हैं वे जो धार्मिकता के कारण अत्याचार सहते हैं, स्वर्गराज्य उन्हीं का है" (मत्ती 5: 10)








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