2012-10-18 16:36:26

कार्डिनल टोप्पो ने सब धर्मसमाजियों से मिशनरी बनने का आग्रह किया


वाटिकन सिटी 18 अक्तूबर 2012 (सेदोक,वीआरवर्ल्ड) विश्व के धर्माध्यक्षों की धर्मसभा 7 से 28 अक्तूबर तक वाटिकन में सम्पन्न हो रही है। मंगलवार को धर्मसभा के 13 वें सत्र में 22 धर्माध्यक्षों ने अपने विचार प्रस्तुत किये जिन्में भारत के राँची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो तथा केरल स्थित क्विलोन के धर्माध्यक्ष स्टैनली रोमान शामिल थे।

भारत में लातिनी रीति के काथलिक धर्माध्यक्षों की कौंसिल (सीसीबीआई) के अध्यक्ष कार्डिनल टोप्पो ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए सब धर्मसमाजियों से पुनः मिशनरी बनने की अपील की। उन्होंने कहा कि उनके देश भारत में उन्होंने ईसाईयों और गैल ईसाईयों के मध्य सुसमाचार की शक्ति को काम करते देखा है। सुसमाचार प्रचार के इतिहास में पवित्र आत्मा की अगुवाई में सब धर्मसमाजों ने उल्लेखनीय कार्य किया है लेकिन क्या हम वही बात धर्मसमाजों या धर्मसंघों के बारे में आज कह सकते हैं। क्या उन्होंने मल्टीनेशनल कम्पनियों की तरह काम करना शुरू दिया है मानवजाति की भौतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत ही अच्छा और जरूरी काम कर रहे हैं लेकिन अपनी स्थापना के प्राथमिक उद्देश्य को भूल गये हैं जो कि खो गये संसार में सुसमाचार को लाना है।

कार्डिनल टोप्पो ने विभिन्न युवा समूहों तथा नये कलीसियाई अभियानों की सराहना की जो चुनौतियों का सामना करने के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने धर्मसभा से आग्रह किया कि वह धर्मसमाजी पुरूषों और महिलाओं से आग्रह करे कि वे प्रत्यक्ष और स्पष्ट रूप से सुसमाचार प्रचार के काम को अपने हाथ में लें तथा स्थानीय धर्माध्यक्ष के साथ सहयोग करते हुए विश्वास का प्रसार करें।
कार्डिनल टोप्पो ने इंगित किया कि संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पिछले दिसम्बर माह में वर्ष 2011 के लिए रोमी कार्यालयों के कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा था कि यूरोप में धर्म या विश्वास को लेकर थकान है अर्थात विश्वास का संकट है। यदि हम इसका उत्तर नहीं पाते हैं और विश्वास को नवीकृत नहीं करते हैं तो अन्य सभी सुधार अप्रभावी रहेंगे।

अंततः कार्डिनल टोप्पो ने कहा कि पवित्र यूखरिस्त, ख्रीस्तीय जीवन का स्रोत और शिखर है और इसका अनुष्ठान सतही तरीके से नहीं किया जा सकता है। उन्होंने पवित्र यूखरिस्त की प्रतिष्ठा और केन्द्रीयता की पुनः स्थापना करने पर जोर दिया ताकि लोगों की विश्वास पर आधारित जीवन की रचना और उसमें पूर्ण परिवर्तन लाने के लिए यूखरिस्त की शक्ति को और अधिक गहराई से अनुभव किया जा सके।








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