वाटिकन सिटी, 15 अक्तूबर, 2012 (वीआर, अंग्रेज़ी) नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक
प्रोफेसर वेरनेर अरबेर ने कहा कि विज्ञान और विश्वास एक-दूसरे के पूरक है और उन्हें चाहिये
कि वे मानव ज्ञान के पूरक बने रहें।
प्रोफेसर अरबेर ने उक्त बात उस समय कही जब
उन्होंने शनिवार 13 अक्तूबर को रोम में आयोजित धर्माध्यक्षों की महासभा में ‘विज्ञान
और विश्वास’ विषय पर अपने विचार रखे।
मालूम हो, संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने
प्रोफेसर वेरनेर अरबेर को सन् 2012 में विज्ञान के लिये परमधर्मपीठीय अकाडेमी का अध्यक्ष
नियुक्त किया। यह भी विदित हो प्रोफेसर वेरनेर इस पद पर आसीन होने वाले प्रथम प्रोटेस्टंट
अध्यक्ष हैं।
उन्होंने कहा कि विज्ञान के ज्ञान ने मानव सवालों के सभी सवालों
का उचित उत्तर देने में असफल रहा है विशेष करके ऐसे सवालों का जो ‘उत्कृष्ट प्राकृतिक
दायरे’ के हैं। इसलिये यह ज़रूरी है कि धार्मिक विश्वास इसमें अपनी भूमिका निभाये।
प्रोफेसर
अरबेर ने कहा कि अब तक विज्ञान के पास जीवन की नींव के बारे में निश्चित तथ्य नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि दूसरे ग्रह में भी जीवन हो सकता इस परिकल्पना के बारे में भी विज्ञान
के पास कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
सन् 1978 ईस्वी में दवा के क्षेत्र में पुरस्कृत
नोबेल पुरस्कार विजेता अरबेन ने कहा कि विज्ञान निश्चय ही नई तकनीकि अनुप्रयोगों के बारे
में बतलाता है जो मानव जीवन और वातावरण को बेहतर बनाते हैं। इसलिये आज कलीसिया, आम नागरिकों
व्यापार जगत और विज्ञान को चाहिये कि वे भविष्य के प्रति ऐसी नयी दृष्टि रखें कि मानव
को दीर्घकालीन लाभ हो।
उन्होंने कहा, "आधुनिक समाज को चाहिये कि वह कानून का
सम्मान करे और यह तब संभव हो पायेगा जब इसकी नींव धार्मिक विश्वास में हो। येसु मसीह
भी मानव कल्याण के लिये विज्ञान के ऐसे प्रयोग प्रकृति के नियम को अवशय ही स्वीकार करेंगे।"