जकार्ता, 13 अक्तूबर, 2012 (एशियान्यूज़) द्वितीय वाटिकन महासभा के पचास वर्ष पूरे होने
और विश्वास वर्ष 2012 के अवसर पर इंडोनेशिया के काथलिकों ने दिसंबर में एक सेमिनार का
आयोजन किया है जिसमें द्वितीय वाटिकन महासभा के विश्वास संबंधी मुख्य दस्तावेज़ों का
अध्ययन किया जायेगा।
उधर स्थानीय स्तर पर जकार्ता में 5-6 अक्तूबर को ‘वेरबुम
दोमिनी’ दस्तावेज़ पर एक सेमिनार का आयोजन हो चुका है। इसमें कलीसियाई जीवन में ईशवचन
और मिशन विषय पर चर्चा की गयी।
एशियान्यूज़ के अनुसार इस सभा में अनेक विश्वासी
और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और ईशशास्त्र अध्यपकों और बाईबिल विशषज्ञों के
निर्देशन में चिन्तन किये।
11 अक्तूबर को इंडोनेशिया के धर्माध्यक्षों ने जकार्ता
में एक सेमिनार का आयोजन किया जिसमें द्वितीय वाटिकन महासभा के विशेषज्ञों और बाईबिल
विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये।
सभा का समापन यूखरिस्तीय बलिदान द्वारा
किया गया जिसमें अनेकों पुरोहितों धर्मसमाजियों और विश्वासियों ने हिस्सा लिया।
यूखरिस्तीय
समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सेमारंग के महाधर्माध्यक्ष और इंडोनेशियाई
धर्माध्यक्षीय समिति के महासचिव जोहानेस पूजासोमाहारता ने कहा, "यूखरिस्त ईश्वर को धन्यवाद
देने का एक चिह्न है विशेष करके द्वितीय वाटिकन महासभा के वरदानों के लिये।"
द्वितीय
वाटिकन महासभा आज की सार्वभौमिक कलीसिया के लिये ‘कोने का पत्थर’ है। उन्होंने कहा सिनॉद
फादरों के संदेशों का सार है – एकता।