2012-10-10 13:12:53

वर्ष ‘ब’ का अट्ठाइसवाँ रविवार, 14 अक्तूबर, 2012


प्रज्ञा ग्रंथ 7,7-11
इब्रानियों के नाम 4, 12-13
संत मारकुस 10,17-30
जस्टिन तिर्की.ये.स.

बिरसा की कहानी
मित्रो, आज आपलोगों को एक किसान के बारे में बताता हूँ। एक गाँव में एक किसान रहता था उसका नाम था बिरसा। बिरसा जीवन भर खेती करके ही अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। वह रोज अपने खेत में कार्य किया करता और उससे जो फल-फूल या सब्जी पैदा होते उसी को बेचकर वह अपने घर का खर्च निकालता था। कभी खेत-बारी अच्छी होती थी कभी उतनी अच्छी नहीं भी होती थी। बिरसा के खेत उपजाऊ थे पर वह पुराने तरीकों से ही खेती करना पसंद करता था। यद्यपि बिरसा का खेत नदी के पास ही में थे पर वह अपने कुँए के पानी का ही उपयोग करता था । और जो कुछ उससे मिल जाते थे उसी से वह संतुष्ट था। एक दिन की बात है बिरसा अपने खेत में काम कर रहा था। उसी समय एक जवान व्यक्ति उसके पास आया और कहा कि वह उसे खेती-बारी के बारे में कुछ बताना चाहता है। तब बिरसा ने उसकी बात सुनने को राजी हो गया। वह जवान व्यक्ति बिरसा को उन्नत और आधुनिक खेती के बारे में बताने लगा। उसने बताया कि उसे नदी से सिंचाई का उपयोग कैसे करना। उस जवाव व्यक्ति ने बताया कि कैसे नये तरीके से खेती करना है और आधुनिक खादों का उपयोग करना है। करीब आधे घंटे तक उन्नत कृषि के बारे में बताने के बाद उस युवा ने बिरसा से कहा कि आपकी जैसी ज़मीन हैं औऱ जिस तरह से जैसी सुविधा आपके पास है उसका उपयोग करने से आप आज जितना अन्न और फल का उत्पादन करते हैं उसका दसगुणा उत्पादन हो पायेगा। तब बिरसा ने तपाक से ज़वाब दिया तो सोचते हैं कि मुझे इन सब सुविधाओं और उपायों के बारे में जानकारी नहीं हैं। तब उस युवा ने कहा कि अगर आपको मालूम है तो आप क्यों आप वैसा नहीं करते हैं। तब बिरसा ने कहा कि वह खेती करने के तरीके बदलना नहीं चाहता है। अगर हमें मालूम है कि हम कैसे प्रगति कर सकते हैं, हमें मालूम है कि हम कैसे अच्छे और भले बन सकते हैं और हमें यह भी मालूम है कि उस ज्ञान के अनुसार कार्य करने से हमे लाभ भी हो सकता है पर अगर हम ज्ञान के अनुसार अपना कार्य नहीं करते हैं तो हमें इसका लाभ नहीं मिलेगा।
मित्रो, रविवारीय आराधना विधि कार्यक्रम के अन्तर्गत पूजन विधि पंचांग के वर्ष के 28वें रविवार के लिये प्रस्तावित पाठों के आधार हम मनन-चिन्तन कर रहे हैं। आज प्रभु हमें बताना चाहते हैं कि हम चाहते हैं कि जीवन प्राप्त करें तो हमें न सिर्फ अच्छी बातों को जानना की आवश्यकता है पर उसके अऩुसार चलने की भी आवश्यकता है तब ही हम ईश्वरीय वरदान के हक़दार हो पायेंगे। आइये अभी हम संत मारकुस रचित सुसमाचार के 10वें अध्याय के 17 से 30 पदों को सुनें।

सुसमाचार संत मारकुस 10, 17-30
येसु प्रस्थान कर ही रहे थे कि एक मनुष्य दौड़ता हुआ आया और उनके सामने घुटने टेक कर उसने यह पूछा, "भले गुरु अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिये मुझे क्या करना चाहिये? येसु ने उसे कहा, "मुझे भला क्यो कहते हो?" ईश्वर को छोड़ कर कोई भला नहीं । तुम आज्ञाओं को जानते हो, हत्या मत करो, व्यभिचार मत करो, चोरी मत करो, झूठी गवाही मत दो, किसी को मत ठगो, अपने माता-पिता का आदर करो।" उसने उत्तर दिया, गुरुवर इन सब का पालन तो मैं अपने बचपन से ही करता आया हूँ।" येसु ने उसे ध्यानपूर्वक देखा और उसके ह्रदय में प्रेम उमड़ पड़ा। उन्होंने उससे कहा, "तुम में एक बात की कमी है। जाओ, अपना सबकुछ बेचकर ग़रीबों को दे दो और स्वर्ग में तुम्हारे लिये पूँजी रखी रहेगी। तब आकर मेरा अनुसरण करो। " यह सुन कर उसका जोहरा उतर गया और वह बहुत उदास होकर चला गाय, क्योंकि वह बुहत धनी था। येसु ने चारों ओर दृष्टि दौड़ायी और अपने शिष्यों से कहा, धनियों के लिये स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कितना कठिन होगा।" शिष्य यह बात सुन कर चकित रह गये। येसु ने उनसे फिर कहा, "बच्चो । ईश्वर के राज्य में प्रवेश करना कितना कठिन है। सूई के नाके से होकर ऊँट का प्रवेश करना अधिक सहज है,किन्तु धनी का ईश्वर के राज्य में प्रवेश करना कठिन है।" शिष्य और भी विस्मित हो गये और आपसे में कहने लगे, "तो फिर कौन बच सकता है?" उन्हें स्थिर दृष्टि से देखते हुए येसु ने कहा, "मनुष्यों के लिये तो यह असंभव है, ईस्वर के लिये नहीं, क्योंकि ईश्वर के लिये सब कुछ संभव है।"
तब पेत्रुस ने कहा, देखिये, हम लगो अपना सब कुछ छोड़ कर आपके अनुयायी बन गये हैं।" येसु ने कहा, "मैं तुम से कहे देता हूँ - ऐसा कोई नहीं, जिसने मेरे और सुसमाचार के लिये घर, भाई-बहनों, माता-पिता, बाल-बच्चों अथवा खेतों को छोड़ दिया हो और जो अब, इस लोक में सौ-गुना न पाये पर, भाई-बहनें, माताएँ, बाल-बच्चे और खेत, साथ-ही-साथ अत्याचार और परलोक में अनन्त जीवन।"


युवक का सवाल
मित्रो, मेरा पूरा विश्वास है कि आपने प्रभु के दिव्य वचनों को ध्यान से सुना है। और यह भी मानता हूँ कि प्रभु ने अपने दिव्य वचनों आपको और आपके द्वारा आपके पूरे परिवार को अपनी आशिष प्रदान की है। मित्रो, आज के पाठ को सुनने के बाद आप ज़रूर ही उस युवक से प्रभावित हुए हैं। मैं तो इस युवक से बहुत प्रभावित हुआ। सुसमाचार के अनुसार वह युवा येसु के पास दौड़ता हुआ आया और उसके सामने नम्रतापूर्वक घुटने टेक कर पूछा। मित्रो, उस युवक का येसु के पास दौड़ते हुए आना यह दिखाता है कि उस युवक में नयी और अच्छी बातों को जानने की जिज्ञासा थी। वह घुटने टेकता है यह दिखाता है कि उस युवक में नम्रता है। और तीसरी बात मित्रो, जिसने मुझे प्रभावित किया है वह है उस युवक का सवाल। वह पूछता है कि अनन्त जीवन पाने के लिये क्या करने की आवश्यकता है। मित्रो, आज के युवा हमसे सवाल पूछते हैं कि वे अपना जीवन सफल कैसे बनायेंगे। आज के युवा हमसे सवाल पूछते हैं कि कहाँ नौकरी करेंगे कि उन्हें ज़्यादा पैसे मिलेंगे। आज के जवान हमसे पूछते हैं कि किस पथ में जाने से कम मेहनत करना पड़ता है ज्यादा आराम मिलता है। फिर मैंने तो यह भी अनुभव किये हैं कि आज के कुछ युवा तो सवाल ही नहीं पूछते हैं वे बस चुप रहते हैं और अपने जीवन को हवा में बहने देते हैं। जिधर से भी तेज हवा बही आज की युवा पीढ़ी को उधर ही बहा ले जाती है। ऐसे समय में अगर कोई जवान व्यक्ति यह सवाल करे कि अनन्त जीवन पाने के लिये क्या करने की आवश्यकता है तो यह एक महत्त्वपूर्ण सवाल है।
प्रगति के लिये सवाल पूछना
मित्रो, आज यही एक सवाल है जिसे हमें बार बार पूछने की ज़रूरत है। आज दुनिया की प्रगति अधुरी रह गयी है बस इसीलिये कि कई इस सवाल को पूछते ही नहीं है। अगर हर व्यक्ति अपने जीवन के पल-पल में हर एक मोढ़ में और हर एक नये निर्णय के समय खुद से पूछने लगे तो उसका जीवन कदापि नहीं भटकेगा। मित्रो, उस युवक का सवाल अच्छा था बुद्धिमत्तापूर्ण था पर येसु ने उसका ज़वाब भी उसी लहजे में दिया और कहा कि अनन्त जीवन का रास्ता आसान है बस तुम ईश्वर को आदर दो परिवार के सदस्यों का सम्मान करो औऱ ईश्वर के दस नियमों को मानो।
दस नियम का सार
मित्रो, ईश्वर के दस नियमों में हम इस बात को जानते ही हैं कि ईश्वर चाहते हैं कि मानव और ईश्वर दोनों को प्यार करें। दस नियमों का सार है कि हम ईश्वर को प्यार करें और अपने ईश्वरीय प्यार की अभिव्यक्ति हम दुनिया के लोगों के साथ करें।जो व्यक्ति ईश्वर को प्यार करता है और अपने पास जो कुछ भी धन-दौलत है जो भी ज्ञान है जो भी कुशलतायें हैं उसका उपयोग अगर वह लोगों की भलाई में लगाता है तो वह निश्चय ही अनन्त जीवन पायेगा। दुनिया में जो भी संत महात्मायें हुए हैं उन्होंने ईश्वरीय प्रेम को ठीक से समझा और उसी प्यार के अनुरूप अपना सारा जीवन दूसरों की सेवा और कल्याण में लगा दिया। और ऐसा करने से ही व्यक्ति खुद तो खुशी का अनुभव करता है सारी दुनिया को भी अच्छा बनने में मदद देता है। प्रभु येसु का भी तो यही मिशन था। उन्होंने अपने जीवन में इस बात को ठीक से पहचान लिया था कि पिता परमेश्वर ने उन्हें इस दुनिया में भेजा है और वे उसे प्यार करते हैं । इसी प्यार के बारे में लोगों को बताते दिखाते और अनुभव कराते हुए येसु ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। अपने पास जो भी था सबको दूसरों के लिये दे दिया। या हम कहें अपने आपको को गरीब बना दिया। अपना सबकुछ दूसरों की खुशी के लिये न्योछावर कर दिया। दुनिया की दृष्टि में तो वह ग़रीब बन गया अपना सब कुछ खो दिया पर इसका पुरस्कार ईश्वर ने अनन्त जीवन के रूप में दिया।
अर्थपूर्ण धन
मित्रो,, आपने आज सुना जब येसु ने उस युवक से कहा कि यदि वह अनन्त जीवन प्राप्त करना चाहता है तो उसे अपना सब कुछ बेच दो और उसे गरीबों को दे दो। और तब वह बहुत उदास होकर चला गया। मित्रो, धनी होना अपने आप में बुरा नहीं है पर धन के प्रति आसक्त होना बुरा है। हमारे धन से हमारे गुणों से यदि दूसरों का कल्याण न हो तो वह धन बेकार है। यदि हमारा धन हममें भय उत्पन्न करता है तो वह धन बेकार है। यदि हमारा धन हमें घमंडी और अन्धा बनाता है और हम दूसरों का मानव के रूप सम्मान नहीं दे पाते हैं तो धन बेकार है।जीवन का सबसे बड़ा धन तो है अपने जीवन से गुणों से संपति से दूसरों का भला करना। मित्रो,, आप हमें कहेंगे कि आप इन सब बातों को जानते हैं। हमने इन बातों को कई बार सुना है।
केवल ज्ञान नहीं, पर पालन
मित्रो, आज यह महत्त्वपूर्ण है कि हम अच्छी भली और सच्ची बातों का सिर्फ़ ज्ञान न हो पर हम उसका पालन करें तब ही हम अनन्त जीवन के हकदार होंगे नहीं तो उस किसान बिरसा के समान कहेंगे कि हम जानते हैं कि हमें क्या करना अच्छी खेती के लिये पर कभी इसका लाभ नहीं कमाएँगे क्यों हमने अच्छी बातों को कभी अपने जीवन में लागू नहीं किया। वह धनी युवक भी सिर्फ़ धनी नहीं था पर बुद्धिमान भी था। वह जानता था कि उसे क्या करना है पर वह करना नहीं चाहता था।
मित्रो, आज प्रभु का निमंत्रण है कि हम अच्छी भली और सच्ची बातों को न सिर्फ़ जानें और उसी का पालन करें फिर तो कौन हमें कौन हमें ईश्वरीय सुख पाने से रोक सकता है कौन हमें अनन्त जीवन पाने से रोक सकता है। हम सही में धनी हैं ज्ञानी हैं और सफल व्यक्ति हैं जब हमारे जीवन से हमें खुशी मिले और लोगों का हित हो।









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