2012-10-09 11:24:49

भोपालः 15,000 हज़ार आदिवासी श्रमिकों को नहीं मिला वेतन


भोपाल, 09 अक्टूबर, सन् 2012 (ऊका समाचार): भारतीय सरकार द्वारा आरम्भ ग्रामीण रोज़गार योजना के तहत काम करनेवाले मध्यप्रदेश के लगभग 15,000 आदिवासी श्रमिकों को उनका वेतन नहीं दिया गया है। सामाजिक कार्यकर्त्ता इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाना चाहते हैं।
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, वह योजना है जो गाँवों के बेरोज़गारों को कम से कम 100 दिन की मज़दूरी के लिये वेतन का आश्वासन प्रदान करती है किन्तु यह दावा किया गया है कि मध्यप्रदेश सरकार ने अप्रैल सन् 2011 से मार्च सन् 2012 तक मज़दूरों को वेतन नहीं दिया।
पीड़ित आदिवासी क्षेत्रों का दौरा करने के बाद एशियाई मानवाधिकार आयोग के अविनाश पाण्डे ने कहा, "लगभग एक वर्ष तक आदिवासियों को वेतन न मिलना एक गम्भीर मुद्दा है जिसे हम संयुक्त राष्ट्र संघ तक ले जायेंगे।"
उन्होंने मध्यप्रदेश प्रदेश की सरकार पर आदिवासियों से उनकी जीविका छीनने का आरोप लगाया।
कई विरोधों के बाद विगत माह मध्यप्रदेश सरकार ने उलटे केन्द्रीय सरकार पर दोष लगाते हुए कहा था कि मज़दूरों के वेतन के लिये पर्याप्त राशि राज्य को नहीं दी गई थी। इसके उत्तर में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश का कहना है कि मध्यप्रदेश सरकार के पास छः अरब रुपयों का रोकड़ बाकी है जो मज़दूरों के हित में उपयोग में लाया जा सकता था।
सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने इस बात की ओर भी ध्यान आकर्षित कराया है कि वेतन प्राप्त न करनेवाले 15,000 आदिवासी मज़दूर, केवल बड़वानी ज़िले के हैं जो कि मध्यप्रदेश के 50 ज़िलों में से एक है, अस्तु वेतन न प्राप्त करनेवालों की संख्या इससे भी बड़ी हो सकती है।








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