2012-10-05 18:12:15

कारितास इंटरनेशनालिस द्वारा राष्ट्रों से घरेलू कामगारों की संविदा को समर्थन देने का आग्रह


रोम 5 अक्तूबर 2012 (वीआरवर्ल्ड) विश्व भर के 100 मिलियन से अधिक घरेलू कामगारों को किसी भी प्रकार का वैश्विक कानूनी संरक्षण नहीं मिला है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की संविदा संख्या 189 जिसे अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने जून 2011 को अपनाया इसका लक्ष्य भी घरेलू कामगारों को कानूनी संरक्षण उपलब्ध कराना है। घरेलू कामगारों से संलग्न इस संविदा की तीन देशों ऊरुग्वे, फिलिपीन्स और मौरिशस ने पुष्टि कर दी है तथा यह सन 2013 से प्रभावी होनेवाला है। कारितास इंटरनेशनालिस अंतरराष्ट्रीय श्रम यूनियनों और नियोक्ताओं के संघों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि संविदा के प्रावधानों के प्रति लोगों के जुड़ाव को गति प्रदान की जा सके।

कारितास की प्रवासी अदवोक्सी अधिकारी मारिया सुवेलजु ने कहा कि वे देखना चाहती हैं कि कम से कम इस संविदा पर 20 देश हस्ताक्षर करें ताकि घरेलू कामगारों की मर्यादा और अधिकारों की रक्षा में यह संविदा शक्तिशाली हथियार बने। उन्होंने कहा कि कारितास अभियान चला रही है ताकि 12 माह में कम से कम 12 देश इस संविदा की पुष्टि करें। यदि हम इसमें सफल रहे तो यह अच्छी शुरूआत होगी।

सुवेलजु ने कहा कि बहुधा घरेलू कामगारों को श्रमिक के रूप में पहचान या मान्यता नहीं दी जाती है। मध्य पूर्व के देशों में वे बहुधा मानवाधिकारों के हनन यहाँ तक कि अत्याचार और यदा-कदा हिंसक परिस्थितियों का सामना करते हैं। कुछ देशों ने इस संविदा की पुष्टि करना शुरू कर दिया है तथा अन्य देश भी इसकी पुष्टि कर देंगे। यह स्थिति इन देशों को मानसिकता में परिवर्तन करने के लिए विवश करेगी तथा वे दीर्घकाल में इस संविदा की पुष्टि कर घरेलू कामगारों को मान्यता देते हुए उनकी अस्मिता तथा उनके द्वारा समाज को मिलनेवाले लाभ को स्वीकृति प्रदान करेंगे।

उन्होंने कहा कि यह संविदा वैधानिक फ्रेमवर्क उपलब्ध करायेगी जिसमें घरेलू कामगारों के अधिकारों का सम्मान किया जायेगा जैसे प्रतिदिन काम के घंटों का नियमन, सप्ताह में एक दिन विश्राम के लिए सुनिश्चित करना, वार्षिक अवकाश तथा दूसरों से मिलने जुलने की स्वतंत्रता। यह संविदा प्रवासियों और नाबालिगों को भी सुरक्षा देती है। सुवेलजू ने कहा कि यद्यपि कुछ यूरोपीय देशों में घरेलू कामगारों को ये अधिकार हासिल हैं लेकिन विश्व भर में अधिकांश घरेलू कामगारों को ये अधिकार हासिल नहीं है।








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