लोरेटो इटली 4 अक्तूबर 2012 सेदोक, वीआरवर्ल्ड) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने 4 अक्टूबर
को इटली के लोरेटो स्थित सुप्रसिद्ध मरियम तीर्थालय की भेंट की ताकि विश्वास के वर्ष
और धर्माध्यक्षों की धर्मसभा को कुँवारी माता मरिया के संरक्षण के सिपुर्द कर सकें। उन्होंने
ख्रीस्तयाग से पूर्व इस सुप्रसिद्ध मरियम तीर्थालय में माता मरिया की प्रसिद्ध प्रतिमा
के सामने प्रार्थना किये। संत पापा ने अपने पूर्वाधिकारी संत पापा जोन तेईसवें के पदचिह्नों
पर चलते हुए लोरेटो के मरियम तीर्थालय का दौरा किया जिन्होंने ठीक 50 वर्ष पूर्व इस तीर्थालय
की भेंट कर द्वितीय वाटिकन महासभा को उनकी मध्यस्थता के सिपुर्द किया था।
लोरेटो
स्थित पवित्र घर मरियम तीर्थालय के प्रांगण में लगभग 10 हजार विश्वासी जमा हुए और संत
पापा की अध्यक्षता में अर्पित समारोही ख्रीस्तयाग में शामिल हुए। समारोही ख्रीस्तयाग
में प्रवचन करते हुए संत पापा ने कहा कि वे भी तीर्थयात्रा पर आये हैं ताकि दो प्रमुख
कलीसियाई पहलों को ईश माता के संरक्षण में सौंप दें। विश्वास का वर्ष जो 11 अक्तूबर से
आरम्भ होगा तथा द्वितीय वाटिकन महासभा के आरम्भ होने की 50 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य
में विश्व के धर्माध्यक्षों की धर्मसभा अक्तूबर माह में " द न्यू एवांजलाईजेशन फोर द
ट्रांसमिशन औफ द क्रिश्चियन फेथ " शीर्षक से वाटिकन में सम्पन्न होगी।
संत पापा
ने कहा कि यहाँ लोरेटो में हमारे लिए विशेष रूप से अवसर है कि हम मरियम के विद्यालय में
भागी हों जिन्हें धन्य कहा गया क्योंकि उन्होंने विश्वास किया। यह तीर्थालय जो उनके पार्थिव
निवास के चारों ओर बनाया गया है उस क्षण की स्मृति को संरक्षित रखता है जब प्रभु के दूत
ने मरियम के पास आकर ईशपुत्र के देहधारण की महान घोषणा की तथा मरियम ने सकारात्मक जवाब
दिया।
संत पापा ने कहा कि देहधारण की घोषणा में ईश्वर मरिया के हां में दिये
जानेवाले उत्तर की प्रतीक्षा करते हैं। ईश्वर ने संवाद करते हुए स्वतंत्र सहभागी की रचना
की है तथा वे पूर्ण स्वतंत्रता में दिये जानेवाले उनके उत्तर के लिए आग्रह करते हैं।
मरिया का हाँ दिव्य कृपा का फल है। यह कृपा स्वतंत्रता का उन्मूलन नहीं करती लेकिन इसके
विपरीत यह स्वतंत्रता की रचना कर इसे बनाये रखती है। उन्होंने कहा कि ईश्वर के बिना मानव
अंततः सह्दयता और प्रेम के बदले में स्वार्थ को, मूल्यों के ऊपर वस्तुओं को तथा स्वयं
के होने के बदले में वस्तुओं के होने को चुनता है
4 अक्तूबर को काथलिक कलीसिया
ने असीसी के संत फ्रांसिस का स्मरण किया। संत पापा ने अपने प्रवचन का समापन करते हुए
विश्व को प्रभावित कर रही सब कठिनाईयों को, हमारी दुनिया जो सुरक्षा और शांति की खोज
कर रही है, अनेक परिवारों की समस्याएं जो भविष्य की ओर चिंतापूर्वक देख रहे हैं, युवाओं
की आकांक्षाएँ जो अपने जीवन का आरम्भ कर रहे हैं तथा पीड़ा सह रहे लोग जो सह्दयता और
प्रेम के चिह्न या निर्णयों की प्रतीक्षा कर रहे हैं इन सबको पवित्रतम ईशमाता के चरणों
के सिपुर्द किया। उन्होंने कहा हमारे सामने खुल रहे कलीसिया के लिए कृपा के विशेष समय
को हम ईश माता के हाथों में रखने की कामना करते हैं।