संत गालेन की स्मृति यूरोप में सुसमाचार प्रचार की जरूरत पर चिंतन के लिए निमंत्रण
रोम 28 सितम्बर 2012 (वीआर वर्ल्ड) यूरोपीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों की समिति (सीसीईई)
की स्विटजरलैंड के सांकट गालेन में 27 से 30 सितम्बर तक सम्पन्न हो रही पूर्णकालिक सभा
के अवसर पर भेजे गये संदेश में संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने कहा कि नवीन सुसमाचार प्रचार
पर आयोजित होनेवाले धर्माध्यक्षीय सिनड की पूर्वसंध्या पर संत गालेन की स्मृति और उनके
कार्य लोगों को प्रेरणा देंगे कि वे विश्वास और आशा के साथ महान फसल अर्थात यूरोप के
लोगों को देखें। वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल तारचिसियो बेरतोने के माध्यम से सीसीईई
के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर एरदो को भेजे गये संदेश में संत पापा ने यूरोप की कलीसिया को
आमंत्रित किया है कि सुसमाचार प्रचार के समाप्त न होनेवाले काम तथा वर्तमान समय में इसकी
नवीकृत आकस्मिक जरूरत पर चिंतन करें एवं संत गालेन के अनुभवों का अनुसरण करें जो सिखाते
हैं कि ईसाई संदेश प्रभावी तरीके से वहाँ बोया और रोपा जाता है जिस समुदाय में यह यथार्थ
और स्पष्ट रूप से जीया जाता है। सीसीईई की पूर्णकालिक बैठक सांकट गालेन में, जो
1978 से ही इसका मुख्यालय रहा है, संत गालेन के आगमन की 1400 वीं वर्षगाँठ पर सम्पन्न
हो रही है। संत गालेन, संत कोलोमबानुस के शिष्य थे और आयरलैंड से ही उनके साथ, अन्य शिष्यों
सहित महाद्वीप में सुसमाचार प्रचार करने के मिशन के लिए चले थे। लेकिन वे बीमारी के कारण
अरबोन जिले के समीप रहने को विवश हुए और उन्होंने स्वयं को मठवासी जीवन के लिए समर्पित
करने का निर्णय लिया। पवित्रता के लिए उनकी प्रसिद्धि के कारण अनेक लोग आकर्षित हुए और
एक मठवासी समुदाय का जन्म हुआ जो बाद में अनेक लोगों के मध्य अन्य मिशनों के लिए प्रेरक
बल बना।