न्यू यॉर्कः मानवजाति चुनौतियों एवं कठिनाइयों का सामना कर रही है, महाधर्माध्यक्ष मामबेरती
न्यू यॉर्क, 26 सितम्बर सन् 2012 (सेदोक): न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा
के 67 वें सत्र से पूर्व, राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तरों पर अधिकार, शीर्षक से,
महासभा की उच्च स्तरीय बैठक सम्पन्न हुई जिसमें वाटिकन की ओर से वाटिकन के विदेश सचिव
तथा संयुक्त राष्ट्र संघीय महासभा में वाटिकन शिष्ट मण्डल के अध्यक्ष, महाधर्माध्यक्ष
दोमनिक मामबेरती ने भी भाग लिया। सोमवार को, बैठक में उपस्थित राष्ट्रों के प्रतिनिधियों
को सम्बोधित कर महाधर्माध्यक्ष मामबेरती ने कहा कि आज मानवजाति चुनौतियों एवं समस्याओं
के कठिन दौर से गुज़र रही है। उन्होंने कहा कि एक ओर विज्ञान प्रगति कर रहा है, शिक्षा
उपलभ्य बनी है तथा लोगों का जीवन स्तर बेहतर बना है तो दूसरी ओर विश्वव्यापी आर्थिक संकट
के कारण मानवतावादी एवं पर्यावरणीय आपात स्थितियाँ उत्पन्न हो गई हैं जो नये संघर्षों
को जन्म दे सकती हैं। महाधर्माध्यक्ष मामबेरती ने कहा, "इस सन्दर्भ में, न्यायिक,
उचित एवं प्रभावात्मक विश्व अभिशासन के लिये, कानून की व्यवस्था का प्रभावशाली प्रसार,
पहले से कहीं अधिक, आवश्यक हो गया है।" संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र तथा
मानवाधिकारों पर सार्वभौमिक घोषणा में निहित विधानों एवं नियमों की महाधर्माध्यक्ष ने
सराहना की किन्तु कहा कि विधिसम्मत रूप से शासन करने हेतु किसी भी देश को न्यायिक, वैधानिक
तथा प्रशासनीय निकायों की आवश्यकता रहती है ताकि कानून एवं व्यवस्था को बरकरार रखा जा
सके। तथापि, महाधर्माध्यक्ष ने चेतावनी दी कि यदि सरकारी कामों एवं प्रक्रियाओं में पारदर्शिता
नहीं होगी तो ये सभी निकाय नाकाम हो सकते हैं। महाधर्माध्यक्ष मामबेरती ने कहा, "परमधर्मपीठ
इस तथ्य पर बल देती है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र, मानवाधिकारों पर सार्वभौमिक
घोषणा तथा विभिन्न देशों के न्यायिक एवं वैधानिक एं प्रशासनिक निकायों को सफल बनाने के
लिये प्रत्येक मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा का सम्मान अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि किसी
भी कानून अथवा सामाजिक मतैक्य को सफल बनाने के लिये मानव के अलंघनीय अधिकारों का सम्मान
किया जाना नितान्त आवश्यक है।