सिस्टर जाँन देभोस रामकृष्णा बजाज मेमोरियल ग्लोबल पुरस्कार से सम्मानित
मुम्बई, 24 सितंबर, 2012 (वीआर, अंग्रेज़ी) मुम्बई में घरेलु कामगार महिलाओं के लिये
कार्य करने वाली बेल्जियन सिस्टर जाँन देभोस रामकृष्णा बजाज मेमोरियल ग्लोबल पुरस्कार
से सम्मानित किया गया। इम्माकुलेट हार्ट ऑफ मेरी धर्मसमाज की सिस्टर मेरी ने भारत
में 48 वर्षों तक घरेलु कामगार महिलाओं के हितों और अधिकारों की रक्षा के लिये कार्य
किया है। प्रियदर्शिनी अकाडेमी द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित रामकृष्णा बजाज
पुरस्कार विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियाँ प्राप्त करने वालों राष्ट्रीय स्तर पर दिया
जाता है पर ऐसे लोगों को यह प्रदान किया जाता है जो विश्व के किसी भी भाग में अपना विशेष
योगदान देते हैं। सिस्टर जाँन को पिछले मंगलवार को यह पुरस्कार केन्द्रीय स्वास्थ्य
मंत्री गुलाम नबी आज़ाद ने दी। विदित हो कि सिस्टर देभोस ने सन् 1985 ईस्वी में घरेलु
कामगार महिलाओं के लिये एक राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत की थी। मालूम हो कि मुम्बई में
बिहार, झारखंड और मध्यप्रदेश प्रांत की महिलायें कार्यरत हैं। इस क्षेत्र के आदिवासी
धर्माध्यक्षों की अपील पर उन्होंने राष्ट्रीय घरेलु कामगार आंदोलन को चलाया था। पुरस्कार
समारोह में बोलते हुए सिस्टर जाँन ने कहा कि घरेलु कामगार महिलाओं की कई समस्याये हैं
जिनका समाधान किया जाना आवश्यक है। इन समस्याओं में महिलाओं और बच्चों का व्यापार,
अल्प मजदूरी, घरेलु कामगार महिलाओं के हितों की रक्षा के लिये कानून की कमी और मकान मालिकों
द्वारा महिलाओं का शारीरिक और यौन शोषण प्रमुख हैं। मालूम हो कि अपने कमजोर स्वास्थ्य
के बावजूद सिस्टर जाँन मेरी ने तमिलनाडू, महाराष्ट्र, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक और मध्यप्रदेश
का दौरा करती रहीं हैं और घरेलु कामगार महिलाओं को संगठित कर उनके अधिकारों की रक्षा
के लिये कार्य किया है।