बैरूतः लेबनान सहअस्तित्व का आदर्श बने, बेनेडिक्ट 16 वें का निवेदन
बैरूत, 16 सितम्बर सन्न 2012 (सेदोक): सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, शनिवार को, लेबनान
के बहुधार्मिक समाज से अपील की कि वह सम्पूर्ण मध्यपूर्व के लिये धर्मों के बीच शांति
एवं सहअस्तित्व का आदर्श बने। काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें लेबनान में अपनी प्रेरितिक यात्रा के अन्तिम चरण में पहुँच चुके हैं। शुक्रवार
को सन्त पापा रोम से लेबनान की तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के लिये रवाना हुए थे। रविवार
को राजधानी बैरूत में ख्रीस्तयाग समारोह तथा अपरान्ह, हरिस्सा में, विभिन्न ख्रीस्तीय
कलीसियाओं के धार्मिक नेताओं से मुलाकात के बाद सन्त पापा लेबनान से विदा ले देर सन्ध्या
पुनः रोम लौट रहे हैं। लेबनान की प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन यानि शनिवार को
सन्त पापा ने राजनैतिक, सामाजिक, शिक्षा, संस्कृति एवं कला जगत के नेताओं से मुलाकात
कर उन्हें अपना सन्देश दिया। उन्होंने उनसे कहा, "पहले से कहीं अधिक आज लेबनान से मांग
की जाती है कि वह सम्पूर्ण मध्यपूर्व के लिये शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का आदर्श बने।" उन्होंने
सबके लिये धार्मिक स्वतंत्रता की अपील की तथा संघर्षों से भरे मध्यपूर्व में स्थायित्व
के लिये इसे अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा, "हम यह न भूलें कि धार्मिक स्वतंत्रता वह
मूलभूत अधिकार है जिससे सभी अन्य अधिकार प्रस्फुटित होते हैं।" ग़ौरतलब है कि लेबनान
की चालीस लाख की आबादी में 50 प्रतिशत ख्रीस्तीय एवं 50 प्रतिशत इस्लाम धर्मानुयायी है।
सन् 1990 में समाप्त हुए गृहयुद्ध के बाद से सरकार में सभी समुदायों को बराबर का प्रतिनिधित्व
दिया गया है। वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने, लेबनान के राजनैतिक,
धार्मिक एवं संस्कृति जगत के नेताओं को दिये सन्त पापा के सन्देश को, "राटसिंगर विधि
की विशिष्टता" निरूपित किया। उन्होंने कहा कि शांति विषयक सन्त पापा का सन्देश शांति
हासिल करने हेतु आवश्यक बातों की गहराई तक जाता है तथा शांति और मानव शास्त्र के बीच
विद्यमान सम्बन्ध को प्रकाशित करता है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, सन्त पापा, शांति
को भंग करनेवालों तत्वों के प्रति भी चेतावनी देते हैं। फादर लोमबारदी ने बताया कि
लेबनानी संसद अध्यक्ष नबी बेरी ने बाद में उनसे कहा कि "मध्य पूर्व के सभी लोगों और राजनीतिज्ञों
को सन्त पापा के सन्देश को सुनना एवं पढ़ना चाहिये तथा उनके शब्दों पर गहन मनन चिन्तन
करना चाहिये। राष्ट्रपति भवन में विभिन्न क्षेत्रों के विद्धानों को अपना सन्देश
देने से पूर्व सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने लेबनान के राष्ट्रपति मिखेल सुलेमान, प्रधान
मंत्री नजीब मिकाती तथा संसद अध्यक्ष नबी बेरी से औपचारिक बातचीत की थी। साथ ही सुन्नी,
शिया एवं ड्रूज़ मुसलमान नेताओं से भी उन्होंने मुलाकात की थी। सुन्नी नेता प्रधान
मुफ्ति मुहम्मद रशीद कब्बानी ने "दुखद परिस्थितियों से गुज़र रहे लेबनान तथा उसके इर्द
गिर्द के क्षेत्र" के कठिन समय में लेबनान की यात्रा हेतु सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें
की भूरि भूरि प्रशंसा की और कहा कि अरब जगत में दोनों धर्मों का सामान्य लक्ष्य है जिसकी
प्राप्ति हेतु मिलकर कार्य करना अनिवार्य है। मध्यपूर्व से ख्रीस्तीयों के नित्य पलायन
पर उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीयों का पलायन मुसलमानों के लिये भी दुख का कारण है क्योंकि
इसका यह अर्थ हुआ कि हम एक साथ मिलकर नहीं रह सकते। आप्रवास, युद्ध तथा घटती जन्म
दर के कारण मध्यपूर्व में ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों की संख्या कम होती गई है। 100 वर्ष
पूर्व मध्यपूर्व में 20 प्रतिशत ख्रीस्तीय धर्मानुयायी थे जो अब पाँच प्रतिशत रह गये
हैं।