2012-09-16 16:35:05

बेरूत में ख्रीस्तयाग के समय संत पापा का प्रवचन


बेरूत लेबनान 16 सितम्बर 2012 (सेदोक) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 16 सितम्बर को बेरूत के वाटरफ्रंट में सार्वजनिक समारोही ख्रीस्तयाग की अध्यक्षता की जिसमें लगभग तीन लाख 50 हजार विश्वासी शामिल हुए। उन्होंने प्रवचन करते हुए कहा कि धन्य है हमारे प्रभु ईसा मसीह का ईश्वर और पिता। धन्य है ईश्वर आज जब मुझे आपके साथ लेबनान में होने की खुशी है तथा क्षेत्र के धर्माध्यक्षों को धर्मसभा के बाद तैयार दस्तावेज एकलेसिया इन मेडियो ओरियन्ते नामक प्रेरितिक उदबोधन सौंप रहा हूँ।

संत पापा ने कहा कि इस रविवार का सुसमाचार पाठ हमें येसु की यथार्थ अस्मिता के बारे में पूछता है। हम पाते हैं कैसरिया फिलिपी के समीप के गाँव में ईसा अपने शिष्यों से पूछते हैं कि वे कौन हैं तथा इस विषय में लोग क्या कहते हैं ? जब ईसा ने यह सवाल पूछा तब वे अपने जीवन के निर्णायक टर्निंग पोइंट पर थे। वे येरूसालेम जा रहे थे, वह स्थान जहाँ हमारे मुक्ति की केन्द्रीय घटनाएँ घटित होंगी- उनका क्रूसित होना और पुनरूत्थान। ईसा के सवाल का सही जवाब पेत्रुस देते हैं आप मसीह हैं। लेकिन केवल जवाब देना पर्याप्त नहीं है इसलिए ईसा इसका स्पष्टीकरण देने की जरूरत को महसूस करते हैं। वे महसूस करते हैं कि लोग उनके जवाब को अपने एजेंडा को आगे बढाने के लिए उपयोग कर सकते हैं। वे स्वयं को भौतिक मुक्तिदाता तक ही सीमित करना नहीं चाहते हैं। इसलिए वे शिष्यों से स्पष्ट रूप से कहते हैं कि मानव पुत्र को दुक उठाना और मार डाला जाना तथा तीसरे दिन जी उठना होगा। येसु चाहते हैं कि वे उनकी सच्ची अस्मिता के समझें। वे मसीह हैं जो पीड़ा सहते हैं, जो सेवा करते हैं और वे कोई विजयी राजनैतिक मुक्तिदाता नहीं हैं। वे वैसे सेवक हैं जो पिता की इच्छा को पूरा करते हैं यहाँ तक कि अपना जीवन दे देते हैं।

संत पापा ने कहा कि येसु का अनुसरण करने का अर्थ है कि अपना क्रूस उठाकर उनके पदचिह्नों पर, कठिन रास्ते पर चलना जहाँ सांसारिक शक्ति और महिमा नहीं मिलती लेकिन आत्मबलिदान द्वारा, ख्रीस्त और सुसमाचार की सेवा के लिए अपना जीवन तक खो देना है। हमें आश्वासन मिला है कि यह पुनरूत्थान का रास्ता है। ख्रीस्त का अनुसरण करने के लिए उनके समीप आना, ईशवचन को ध्यान से सुनना और हम जो कुछ करते हैं उसके लिए प्रेरणा पाना। 11 अक्तूबर से आरम्भ होनेवाले विश्वास के वर्ष के लिए मैंने चाहा कि हर विश्वासी ईमानदार मनपरिवर्तन के इस पथ को लेते समय अपने समर्पण का नवीनीकरण करे। इस पूरे वर्ष गहराई से अपने विश्वास पर चिंतन करें तथा ख्रीस्त और उनके सुसमाचार के प्रति अपनी निष्ठा में बढ़ें।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त के अनुयायियों और कलीसिया की बुलाहट आजादी और निष्पक्ष भाव से दूसरों की सेवा करना है जैसा कि स्वयं प्रभु ने किया। परिणाम स्वरूप ऐसे विश्व में जहाँ हिंसा नियमित रूप से मृत्यु और विनाश का चिह्न छोड़ा जाती है है भ्रातृत्वपूर्ण समाज और बंधुत्व की भावना की रचना करने के लिए न्याय और शांति की सेवा करना अनिवार्य रूप से जरूरी है। ईश्वर से मेरी प्रार्थना है कि मध्यपूर्व में शांति और मेलमिलाप करनेवाले सेवकों को दें ताकि सबलोग ससम्मान शांतिमय जीवन जी सकें। यह अपरिहार्य साक्ष्य है जिसे ईसाईयों को सदइच्छावाले सबलोगों के साथ सहयोग करते हुए देना है। मैं आप सबसे जहाँ भी हैं वहाँ शांति निर्माता बनने की अपील करता हूँ।

संत पापा ने कहा कि भाईयो और बहनो जो शारीरिक या आध्यात्मिक पीडा सह रहे हैं। उनकी पीड़ा व्यर्थ नहीं है। सेवक ख्रीस्त ने चाहा कि पीडितों के समीप रहें। वे हमेशा आपके समीप हैं। आप अपने पथ में उन भाई बहनों को पायेंगे जो ख्रीस्त की प्रेममय परिस्थिति के ठोस चिह्न हैं। ख्रीस्त के कारण सदा आशा से भरे रहें। इस ख्रीस्तयाग समारोह में भाग लेने आये सब भाई बहन हमेशा प्रयत्न करें कि येसु ख्रीस्त में दृढ़ बने रहें जो दुनिया को जीवन देने के लिए सबके सेवक बन गये। ईश्वर लेबनान को आशीष दें। मध्य पूर्व के इस प्रिय क्षेत्र के सबलोगों को आशीष दें तथा शांति रूप उपहार प्रदान करें। आमेन।








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