संत पापा द्वारा संत पौल बासिलिका में दिये गये सम्बोधन के अंश
हरिस्सा लेबनान 15 सितम्बर 2012 (सेदोक) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने 14 सितम्बर को
हरिस्सा स्थित संत पौल बासिलिका में उपस्थित पूर्वी तथा लातिनी रीति के विभिन्न मसीही
समुदायों के धर्माधिकारियों, मुसलमान और द्रुज समुदायों के प्रतिनिधियों तथा नागरिक और
सांस्कृतिक जगत के विशिष्ट जनों का हार्दिक अभिवादन करते हुए कहा- मैं प्राधिधर्माध्यक्ष
ग्रेगोरियस लहाम को उनके स्वागत संबोधन के लिए तथा धर्माध्यक्षों की धर्मसभा के महासचिव
महाधर्माध्यक्ष निकोला एतेरोविक को उनके परिचय के लिए धन्यवाद देता हूँ। इस्लाम और ईसाई
धर्म का सुखद सहअस्तित्व, दो धर्मों ने महान संस्कृतियों का निर्माण कर लेबनान के सामाजिक,
राजनैतिक और धार्मिक जीवन की मौलिकता की रचना की है। इन परिस्थितियों में एक व्यक्ति
आनन्द ही मना सकता है और इसे पूरी तरह से प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। मैं इस इच्छा को
आपके देश के धार्मिक नेताओं के सिपुर्द करता हूँ।
संत पापा ने कहा कि प्रेरितिक
उदबोधन पर हस्ताक्षर करने की घटना संयोग से पवित्र क्रूस के विजय के पर्व के दिन सम्पन्न
हो रही है। महान सम्राट कोंस्टन्टाइन द्वारा गोलगोथा और प्रभु की कब्र के ऊपर निर्मित
बासिलिका के समर्पण के बाद पूर्व में लगभग सन 335 में इस पर्व की शुरूआत हुई। ईसाईयों
के लिए पवित्र क्रूस की विजय का समारोह मनाने का अर्थ है कि मानवजाति के लिए ईश्वर के
बिलाशर्त् प्रेम की पूर्णता के साथ संयुक्त होना। यह विश्वास का कृत्य है। पुनरूत्थान
की पृष्ठभूमि में क्रूस का विजयगान करने का अर्थ है प्रेम की पूर्णता को अनुभव करने और
दिखाने की इच्छा। यह प्रेम का कृत्य है। बंधुत्व और कलीसियाई सामुदायिकता का समर्पित
संदेशवाहक अर्थात यथार्थ मसीही साक्ष्य का स्रोत बनना है। यह आशा का कृत्य है। मध्यपूर्व
में कलीसिया की वर्तमान स्थिति का अवलोकन करते हुए धर्मसभा के धर्माचार्यों ने इस भूमि
में येसु के अनुयायियों की खुशी और संघर्ष. डर तथा आशा पर चिंतन किया था। इस तरह, सम्पूर्ण
कलीसिया असंख्य लोगों की करूण पुकार और व्यथित चेहरों को देख और सुन सकी जो मानवीय और
भौतिक कठिनाईयों को गंभीरता से अनुभव कर रहे हैं, भय और असुरक्षा से उत्पन्न तनावों के
मध्य जीवन जी रहे हैं, जो ख्रीस्त का अनुसरण करना चाहते हैं जो उनके अस्तित्व को अर्थ
प्रदान करते हैं।
संत पापा ने कहा कि हम मध्यपूर्व के ईसाईयों के साहस और विश्वास
की सराहना करते हैं। अनन्त प्यार की लौ के लिए धन्यवाद देते हैं जिसे उन्होंने इन स्थलों
में जलाये रखा है जहाँ देहधारी पुत्र का सबसे पहले स्वागत हुआ था। कलीसियाई और भ्रातृपूर्ण
समाज की रचना करने के लिए किये जानेवाले प्रयासों के लिए हम उनकी प्रशंसा करते और धन्यवाद
देते हैं।
उन्होंने कहा कि एक्लेसिया इन मेडियो ओरियन्ते नामक प्रेरितिक उदबोधन
वर्तमान पर पुर्नविचार करने के लिए हमें सक्षम बनाता है ताकि भविष्य को ख्रीस्त की आँखों
से देख सकें। यह दस्तावेज उस पथ की पुर्नखोज करने के लिए निर्देशित करता है जो अपरिहार्य
है-अर्थात् कठिन और दुखपूर्ण परिस्थितियों में ख्रीस्त के अनुयायी बनना जो कभी-कभी क्रूस
विजय को भूलने या इंकार करने के प्रलोभन की ओर ले जा सकता है। ऐसे समय में नफरत पर प्रेम
की, बदला पर क्षमा की, प्रभुत्व पर सेवा की, घमंड पर विनम्रता की एवं विभाजन पर एकता
की विजय का समारोह मनाने के लिए हमें बुलाया जाता है।
संत पापा ने कहा कि इस प्रेरितिक
उदबोधन का लक्ष्य प्रभु के हर अनुयायी को सहायता करना है ताकि वह पूरी तरह जीवन जीये
और निष्ठापूर्वक अन्यों को वह सब दे जिसे उसने बपतिस्मा संस्कार के द्वारा पाया है- ज्योति
की संतान, ईश्वर के प्रकाश में उसकी सहभागिता, इस संसार के प्रताडित करनेवाले अंधकार
के सामने नवप्रज्वलित प्रकाशपुँज ताकि अंधकार में ज्योति चमकती रहे। यह दस्तावेज चाहता
है कि विश्वास को शुद्ध करे उन सब विकृतियों से जिन्होंने इसे विरूपित कर दिया है, उन
सबसे जो ख्रीस्त के प्रकाश के सौंदर्य को बाधित कर सकता है। ख्रीस्त के प्रति सच्ची निष्ठा
सामुदायिकता है, और ख्रीस्तीय साक्ष्य पास्काई रहस्य की चमक है जो क्रूस, को पूरा अर्थ
प्रदान करता है। उनके अनुयायी के रूप में हम क्रूसित ख्रीस्त ईश्वर की शक्ति और ईश्वर
की प्रज्ञा की हम घोषणा करते हैं।
संत पापा ने कहा कि मध्य पूर्व की कलीसियाएं
डरें नहीं क्योंकि प्रभु आपके साथ हैं, युग के अंत तक हैं। डरे नहीं, क्योंकि सार्वभौमिक
कलीसिया आपके साथ है मानवीय और आध्यात्मिक रूप से आपके समीप है। इसी आशा और प्रोत्साहन
के शब्दों के साथ आप अपने समुदाय साक्ष्य द्वारा विश्वास के सक्रिय संदेशवाहक बनें रविवार
को मैं प्रेरितिक उदबोधन मध्यपूर्व में कलीसिया को आपके वंदनीय प्राधिधर्माध्यक्षोंस
धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मसमाजियों और लोकधर्मियों को सौपूँगा। कुँवारी माता मरिया
की मध्यस्थता से मैं सब पर प्रचुर मात्रा में ईश्वरीय कृपाओं की कामना करता हूँ। ईश्वर
मध्य पूर्व के सबलोगों को कृपा प्रदान करें कि वे शांति, भाईचारा और धार्मिक स्वतंत्रता
में जीवन जीयें।