2012-09-14 12:51:22

वाटिकन सिटीः लेबनान में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की प्रेरितिक यात्रा की पृष्ठभूमि


वाटिकन सिटी, 14 सितम्बर सन् 2012 (सेदोक): काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें शुक्रवार 14 सितम्बर को, रोम समयानुसार प्रातः साढ़े नौ बजे रोम के चामपीनो हवाई अड्डे से, लेबनान में अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के लिये रवाना हुए। लेबनान की राजधानी बैरूत तक 2,196 किलो मीटर की दूरी उन्होंने आल इतालिया के ए 320 विमान से, सवा तीन घण्टों में पूरी की। रोम से बैरूत तक की हवाई यात्रा के समय सन्त पापा ने रास्ते में पड़नेवाले इटली, ग्रीस एवं साईप्रस देशों के राष्ट्रपतियों के नाम तार सन्देश प्रेषित कर यहाँ के लोगों के प्रति सुख समृद्धि और खुशहाली की मंगलकामना की।
कलीसिया के परमाध्यक्ष का पद ग्रहण करने के बाद से इटली से बाहर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की यह 24 वीं तथा मध्यपूर्व में चौथी प्रेरितिक यात्रा है। इससे पूर्व सन्त पापा तुर्की, पवित्र भूमि तथा साईप्रस की यात्राएँ कर चुके हैं। लेबनान में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की पहली यात्रा है। इससे पूर्व, सन् 1964 में, सन्त पापा पौल षष्टम, भारत जाते समय लेबनान में कुछ घण्टे रुके थे तथा सन् 1997 में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने लेबनान की प्रेरितिक यात्रा की थी।
मध्यपूर्व स्थित लेबनान की कुल आबादी लगभग चालीस लाख है जिनमें 50 प्रतिशत ख्रीस्तीय एवं 50 प्रतिशत इस्लाम धर्मानुयायी हैं। फिलीस्तीनी शरणार्थियों की संख्या लेबनान में चार लाख है जो सन् 1948 में इसराएल की घोषणा के बाद तथा 1970 में जॉर्डन द्वारा निकाल दिये जाने के बाद लेबनान आ बसे थे। प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार लेबनान के लगभग एक करोड़ आप्रवासी विभिन्न संघर्षों के कारण स्वदेश छोड़कर ब्राज़ील, अमरीका, कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया, फ्रेंच भाषी अफ्रीका के देशों तथा यूरोप के विभिन्न देशों में जा बसे हैं। लेबनान में मुख्य रूप से अरबी, फ्रेंच तथा अँग्रेज़ी भाषाएँ बोली जाती हैं।
सन् 1943 में स्वतंत्रता प्राप्ति तथा सन् 1975 से 1990 तक ख्रीस्तीयों एवं मुसलमानों के बीच चले संघर्ष के बाद से लेबनान में राजनैतिक सत्ता का बँटवारा विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों के सिपुर्द कर दिया गया है। लेबनान के राष्ट्रपति मारोनी रीति के काथलिक हैं, प्रधान मंत्री सुन्नी मुसलमान हैं तथा संसद अध्यक्ष शिया मुसलमान हैं। 128 संसद सदस्यों में 50 प्रतिशत ख्रीस्तीय एवं पचास प्रतिशत मुसलमान सांसद हैं।
लेबनान की एक विशिष्टता उसकी विविधता है। बीस लाख ख्रीस्तीयों में मारोनी रीति के काथलिक, ग्रीक ऑरथोडोक्स, ग्रीक मेलकाईट काथलिक, प्रेरितिक आरमेनियाई काथलिक, आरमेनियाई काथलिक, सिरियाई काथलिक, प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय, खलदेई ख्रीस्तीय, सिरो ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय, पूर्वी अस्सिरियाई काथलिक तथा लातीनी रीति के काथलिक शामिल हैं। इसी प्रकार लेबनान के बीस लाख इस्लाम धर्मानुयायों में शिया मुसलमान, सुन्नी मुसलमान तथा ड्रूस मुसलमान शामिल हैं। यहूदियों का एक छोटा सा समुदाय भी लेबनान में निवास करता है। लेबनान के विविध धार्मिक समुदायों के लिये, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की प्रेरितिक यात्रा को, सिरियाई काथलिकों के धर्माधिपति इग्नास जोसफ योनान ने, लेबनान के मुसलमान और ख्रीस्तीय, दोनों समुदायों को लिये इस कठिन समय में कृपा का क्षण निरूपित किया। उन्होंने आशा व्यक्त की लेबनान में सन्त पापा की उपस्थिति शांति, वार्ता एवं विविधताओं के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करेगी तथा मानवीय मूल्यों एवं मानवाधिकार के प्रतिष्ठापन हेतु लोगों को प्रेरणा देगी।
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की तीन दिवसीय लेबनान यात्रा का प्रमुख उद्देश्य, सन् 2010 में, वाटिकन में मध्यपूर्व पर सम्पन्न धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के प्रेरितिक उदबोधन की प्रकाशना करना है। शुक्रवार सन्ध्या हरिस्सा नगर के सन्त पौल महागिरजाघर में सन्त पापा इस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कर इसे मध्यपूर्व के धर्माध्यक्षों के सिपुर्द कर रहे हैं। उक्त धर्मसभा में मध्यपूर्व के धर्माध्यक्षों द्वारा प्रकाश में लाई गई प्रेरितिक उत्कंठाओं पर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने अपने सुझाव रखें हैं तथा विभिन्न चुनौतियों का सामना करने हेतु मार्गदर्शन दिया है। धर्मसभा में धर्माध्यक्षों ने इसराएली-फिलीस्तीनी संघर्ष, इस्लामी रूढ़िवाद के उदय, मुसलमानों तथा यहूदियों के साथ वार्ता, अत्याचारों के कारण लेबनान के ख्रीस्तीयों के पलायन, मध्यपूर्व के देशों में व्याप्त सैन्य संघर्ष तथा आर्थिक संकट जैसे गम्भीर प्रश्नों पर अपने विचार व्यक्त किये थे।
सन्त पापा के प्रेरितिक उदबोधन से लेबनान के ख्रीस्तीय क्या अपेक्षाएँ रखते हैं, इस विषय में सुनें लेबनान में मारोनी रीति के काथलिक प्राधिधर्माध्यक्ष बेखारा राय से ..................प्रेरितिक उदबोधन को उन्होंने वर्तमानकालीन कठिन समय में ईश्वर द्वारा प्रदत्त वरदान निरूपित किया और कहा कि इस दस्तावेज़ में सन्त पापा द्वारा मध्यपूर्व को दिया गया मार्गदर्शन पुनर्मिलन एवं मैत्री की ओर ले जाने वाला हवा का नया झोंका सिद्ध हो सकता है।
प्रेरितिक उदबोधन की प्रकाशना के अलावा सन्त पापा लेबनान की स्थानीय ख्रीस्तीय कलीसियाई राजनीति से भी रुबरु होंगे। सन् 2010 की धर्मसभा में धर्माध्यक्षों ने पूर्वी रीति के काथलिकों की विभिन्न परम्पराओं को बरकरार रखने पर अत्यधिक बल दिया था। हालांकि, उन्होंने इस बात के प्रति भी सचेत किया था कि विभिन्न ख्रीस्तीय समूहों द्वारा अपनी अपनी पहचान को अलग रखने के प्रयास ख्रीस्तीयों के बीच एकता के मूल्य को गौण बना सकते हैं। बैरूत में काथलिक गुरुकुल के प्राचार्य फादर जुलाओमे दे ब्रूट रेमूर ने वाटिकन रेडियो से अगस्त माह में कहा था कि लेबनान को, सन्त पापा बेनेडिक्ट के, एकता के सूत्र में बाँधनेवाले, सन्देश की नितान्त आवश्यकता है, "विशेष रूप से, मध्यपूर्व में चली क्रान्ति के बीच, जहाँ इस्लाम भी एक शक्ति बनकर उठा है तथा एक प्रकार का अतिवाद एकता को ख़तरे में डाल रहा है।"
वाटिकन के प्रेस प्रवक्ता ने फादर लोमबारदी ने सन्त पापा की लेबनान यात्रा पर इस सप्ताह एक संवाददाता सम्मेलन में बताया था कि लेबनान में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की तीन दिवसीय यात्रा का आदर्श वाक्य हैः "पाक्स वेबिस" यानि तुम्हें शान्ति मिले। उन्होंने यह भी बताया था कि सन्त पापा की प्रेरितिक यात्रा के उपलक्ष्य में लेबनान की सरकार ने शनिवार, 15 सितम्बर को अवकाश घोषित किया है।
लेबनान की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान, सन्त पापा, राजधानी बैरूत के अतिरिक्त हरिस्सा, बाबदा, बज़ोमार, बेरके तथा शारफेत नगरों का भी दौरा करेंगे। प्रेरितिक उदबोधन की प्रकाशना के अलावा लेबनान में सन्त पापा के प्रमुख कार्यक्रम हैं: शनिवार को बाबदा में राष्ट्रपति मिखेल सुलेमान से औपचारिक मुलाकात तथा प्रधान मंत्री नजीब मुकाती और संसद अध्यक्ष नबी बेरी के साथ वैयक्तिक बातचीत। इसी दिन, सन्त पापा, इस्लाम धर्म के नेताओं से मुलाकात करेंगे तथा वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, लेबनान में कार्यरत कूटनीतिज्ञों तथा कला एवं संस्कृति जगत के विद्धानों को सम्बोधित करेंगे। रविवार के दिन सन्त पापा शारफेत में लेबनान के सभी काथलिक एवं अन्य ख्रीस्तीय सम्प्रदायों के नेताओं से मुलाकात करेंगे। संवाददाता सम्मेलन में फादर लोमबारदी ने इस तथ्य पर बल दिया था कि सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की लेबनान यात्रा की प्रकृति प्रेरितिक है इसलिये वे एक राजनैतिक नेता के रूप में नहीं बल्कि एक धार्मिक नेता रूप में यह यात्रा कर रहे हैं।
फादर लोमबारदी ने इस बात की भी पुष्टि की थी विश्व के विभिन्न शहरों में इस समय व्याप्त हलचल के बावजूद, लेबनान में, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की सुरक्षा कोई खास चिन्ता का विषय नहीं है, विशेष रूप से, इसलिये कि लेबनान के अधिकांश लोगों के लिये सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें, एक स्वागत योग्य व्यक्ति एवं शान्ति के सन्देशवाहक हैं।










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