बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा की धर्मशिक्षा
वाटिकन सिटी रोम 12 सितम्बर 2012 (सेदोक) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने बुधवारीय आमदर्शन
समारोह के अवसर पर वाटिकन स्थित संत पापा पौल षष्टम सभागार में देश विदेश से आये हजारों
तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को इताली फ्रेंच, जर्मन, सहित विभिन्न यूरोपीय भाषाओं में
सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय
भाईयो और बहनो, प्रकाशना ग्रंथ में प्रार्थना पर अपनी धर्मशिक्षा
माला को जारी रखते हुए अब हम इतिहास में कलीसिया की तीर्थयात्रा में प्रार्थना के महत्व
पर दी गयी शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करते हैं। प्रार्थना हमें निर्णायक रूप से विचार
विमर्श करने के लिए समर्थ बनाती है कि ईश्वरीय राज्य के विस्तार के लिए हम इतिहास की
घटनाओं को हम परमेश्वर की योजना के आलोक में देख सकें। वह योजना सात मोहरें से बंद पुस्तक
के रूप में प्रतीकात्मक रूप से बतायी गयी है जिसे केवल मेमना, क्रूसित और पुनर्जीवित
प्रभु ही खोल सकते हैं। प्रार्थना में हम पाप और मृत्यु पर ख्रीस्त की अंतिम विजय
को देखते हैं हैं जो सम्पूर्ण इतिहास की कुँजी है। इस विजय के लिए धन्यवाद देते हुए हमारी
सांसारिक यात्रा के लिए हम ईश्वर से कृपा की याचना करते रहते हैं। जीवन की बुराईयों के
मध्य प्रभु हमारी प्रार्थना सुनते हैं, कमजोरियों को दूर कर सबल बनाते हैं तथा उनकी परमसत्ता
पर भरोसा करने में समर्थ बनाते हैं। प्रकाशना ग्रंथ का समापन होता है येसु की प्रतिज्ञा
से कि वे शीघ्र वापस आयेंगे और कलीसिया की गहन प्रार्थना है- प्रभु ख्रीस्त आइये। हम
अपनी प्रार्थना में और विशेष रूप से ख्रीस्तयाग के समय इस आशा में बढ़ें कि ख्रीस्त महिमा
में आयेंगे, पूर्ण परिवर्तन लानेवाली उनकी कृपा को अनुभव करें तथा विश्वास के प्रकाश
में सब चीजों को पहचानना सीखें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने कहा- मैं परमधर्मपीठीय
होली क्रास विश्वविद्यालय के तत्वाधान में आयोजित कम्यूनिकेशन सेमिनार के प्रतिभागियों
का सहर्ष अभिवादन करता हूँ। पोंटिफिकल नोर्थ अमरीकन काँलज में इंस्टीच्यूट फोर कंटीनियूंग
थियोलोजिकल एजुकेशन में भाग ले रहे पुरोहितों का भी मैं स्वागत करता हूं। इंगलैंड, स्काँटलैंड,
वेल्स, डेनमार्क, माल्टा, भारत, कोरिया, फिलिपीन्,, कनाडा और संयुक्त राज्य अमरीका से
आये पर्यटकों सहित सब अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों का मैं स्वागत कर आप सब पर ईश्वरीय
आशीष की कामना करता हूँ। लेबनान के लिए अपील करते हुए संत पापा ने कहा- प्रिय तीर्थयात्रियो,
आज से दो दिन बाद मैं लेबनान के लिए उड़ान भरूँगा। मैं इस प्रेरितिक यात्रा की ओर उत्सुकता
से देख रहा हूँ। मैं लेबनान समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से मिलूँगा - नागरिक
और कलीसियाई अधिकारी, विभिन्न रीतियों को काथलिक विश्वासी तथा अन्य ईसाई, मुसलमान और
द्रुज । मैं इस समृद्धि के लिए ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ जो केवल स्थायी शांति और मेलमिलाप
का जीवन जीने में ही जारी रह सकती है। इसलिए मैं मध्य पूर्व के सब ईसाईयों से वे चाहे
मूलनिवासी हों या नवागंतुक उनसे आग्रह करता हूँ कि वे शांति के निर्माता तथा मेलमिलाप
करानेवाले बनें। मैं ईश्वर से याचना करता हूँ कि वे लेबनान तथा सम्पूर्ण मध्य पूर्व क्षेत्र
के ईसाईयों के विश्व को मजबूत बनायें तथा उन्हें आशा से भर दें। मैं उनकी उपस्थिति के
लिए ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ और सम्पूर्ण कलीसिया को प्रोत्साहन देता हूँ कि उनके साथ
बंधुत्वा की भावना में रहें ताकि इस क्षेत्र के ईसाई इस धन्य भूमि में ख्रीस्त का साक्ष्य
बनना जारी रखें तथा एकता में सामुदायिकता की खोज करें। मैं सब लोगों और सब संस्थानों
के लिए ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ जो इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए अनेक प्रकार से सहायता
करते हैं। मध्य पूर्व का इतिहास अंतर-धार्मिक और अंतर-सांस्कृतिक संवाद के क्षेत्र में
विभिन्न ईसाई समुदायों द्वारा निभायी गयी महत्वपूर्ण और बहुधा विवेचनात्मक भूमिका के
बारे में बताता है । मैं ईश्वर से निवेदन करता हूँ कि विश्व के इस भूभाग में शांति आये
जिसकी यह वैध भिन्नताओं के बावजूद बहुत गहराई से कामना करती है। ईश्वर लेबनान और मध्य
पूर्व को आशीष दें। ईश्वर आप सबको अपनी कृपा से भर दें।
संत पापा ने बुधवारीय
आमदर्शन समारोह के अंत में सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।