देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
कास्तेल गोंदोल्फो रोम 10 सितम्बर 2012 (सेदोक, एशिया न्यूज) श्रोताओ संत पापा बेनेडिक्ट
16 वें ने कास्तेल गोदोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में रविवार 9 सितम्बर
को देवदूत संदेश प्रार्थना के लिए देश विदेश से आये लगभग 4 हजार तीर्थयात्रियों के साथ
देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। इससे पूर्व उन्होंने इताली भाषा में सम्बोधित करते
हुए कहा-
प्रिय भाईयो और बहनो,
आज के सुसमाचार पाठ के केन्द्र में एक
छोटा लेकिन बहुत महत्पूर्ण शब्द है। एक शब्द जो अपने सबसे गहरे अर्थ में ख्रीस्त के सम्पूर्ण
काम और पूरे संदेश का सार है। सुसमाचार लेखक संत मारकुस उसी भाषा में लिखते हैं जिसे
येसु कहते हैं ताकि यह हमारे लिए और अधिक जीवंत हो। यह शब्द " एफेता " जिसका अर्थ है-
खुल जा। आइये हम देखें कि किस प्रसंग में यह व्यक्त हुआ है। येसु तीरूस प्रांत से चले
गये, वे सिदोन होकर देकापोलिस प्रान्त पार कर गलीलिया के समुद्र के पास पहुँचे। यह गैर
यहूदी क्षेत्र है।
लोगों ने येसु के पास एक गूँगे बहरे व्यक्ति को लाया ताकि
वे उसे चंगा कर दें, यह प्रत्यक्ष है कि येसु की प्रसिद्धि वहाँ तक फैल चुकी थी। येसु
ने उस व्यक्ति को भीड़ से अलग एकान्त में ले जाकर उसके कान और जिह्वा का स्पर्श किया
और फिर आकाश की ओर आँखे उठाकर आह भरी और कहा- एफेता जिसका अर्थ है " खुल जा " और तत्क्षण
वह आदमी सुनने और खुलकर बोलने लगा। इसलिए ऐतिहासिक, शाब्दिक अर्थ है इस शब्द का। येसु
को धन्यवाद कि उनकी मध्यस्थता से यह बहरा गूँगा व्यक्ति खुल गया। यह पहले बंद था, संवाद
करना उसके लिए बहुत मुश्किल था और उसकी चंगाई थी दूसरों और ईश्वर के लिए खुलापन, ऐसा
खुलापन जो सुनने और बोलने के अंगों से आरम्भ होकर उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व और जीवन को
शामिल करता है। अंततः वह संवाद करने में सक्षम हो जाता है और एक नये प्रकार से दूसरों
के साथ संवाद कर सकता है। लेकिन हम जानते हैं कि मनुष्य का बंद होना, उसका एकाकीपन केवल
ज्ञान इंद्रियों के स्पर्श पर निर्भर नहीं करता है।
एक आंतरिक अवरूद्धता है जो
व्यक्ति के गहनतम मूल भाग, जिसे बाइबिल ह्दय कहती है, को ढंकती है। यह वह है जिसे खोलने,
मुक्त करने, हमें समर्थ करने प्रभु आये ताकि हम ईश्वर और दूसरों के साथ हमारे संबंध को
पूरी तरह जी सकें। इसलिए मैंने कहा कि यह छोटा शब्द एफेता खुल जा ख्रीस्त के सम्पूर्ण
मिशन के सार को व्यक्त करता है। वे मानव बन गये ताकि मनुष्य जो पाप के कारण आंतरिक रूप
से गूँगा और बहरा बन गया है, वह ईश्वर की पुकार को सुनने में समर्थ हो, प्रेम की पुकार
जो हमारे दिल से कह रही है, तथा प्रेम की भाषा में कहना सीख सकें, ईश्वर और दूसरों के
साथ संवाद कर सकें। इस कारण से, एफेता के शब्द और संकेत को बपतिस्मा संस्कार की रीति
में शामिल किया गया है, अनेक चिह्नों में से एक जो इसके अर्थ को व्यक्त करता है- पुरोहित,
नये बपतिस्मा पाने वाले के मुँह और कान का स्पर्श कर कहते हैं एफेता, प्रार्थना करते
हैं कि वे शीघ्र ही ईश वचन को सुनें और अपने विश्वास की घोषणा करें। बपतिस्मा के द्वारा
मानव शुरू करता है कहा जा सकता है कि वह पवित्र आत्मा को श्वांस लेने लगता है जिसका येसु
ने गूँगे और बहरे आदमी को चँगा करते समय आह भरते हुए पिता से आह्वान किया।
हम
कुँवारी माता मरिया की ओर प्रार्थना में मुड़ते हैं जिनके जन्म का उत्सव हमने शनिवार
को मनाया। देहधारी शब्द के साथ अपने अद्वितीय संबंध के कारण मरिया पूरी तरह से प्रभु
के प्रेम के लिए खुली है उनका दिल निरंतर ईश्वर के शब्दों को सुन रहा है। उनकी ममतामयी
मध्यस्थता हमें सहायता करे कि हम दैनिक जीवन में विश्वासपूर्वक एफेता के चमत्कार को अनुभव
करें, ईश्वर और दूसरों के साथ सामुदायिकता के जीवन में जीयें।
इतना कहने के
बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
प्रदान किया।
उन्होंने फ्रेंच भाषा में कहा- प्रिय तीर्थयात्रियो आप लोग जो यहाँ
हैं या इस देवदूत संदेश प्रार्थना में रेडियो या टेलिविजन के द्वारा भाग ले रहे हैं आगामी
दिनों में मैं लेबनान की प्रेरितिक यात्रा करूँगा और धर्मसभा के बाद तैयार प्रेरितिक
उदबोधन पर हस्ताक्षर करुँगा जो अक्तूबर 2010 में सम्पन्न मध्यपूर्व के धर्माध्यक्षों
की विशेष धर्मसभा का फल है। मुझे लेबनान के लोगों और अधिकारियों तथा इस प्रिय देश और
पड़ोसी देशों के ईसाईयों के साथ मिलने का सुअवसर मिलेगा। मैं इस क्षेत्र के लोगों द्वारा
अनुभव किये जानेवाले के प्रति सचेत हूँ जो बहुत लम्बे समय तक के अंतहीन संघर्षों के कारण
पीडित हैं। मैं मध्य पूर्व के लोगों की पीड़ा को समझता हूं दो उनके दैनिक जीवन में हर
प्रकार विद्यमान है खेदपूर्वक बहुधा यह निजी और पारिवारिक जीवन को विनाशक रूप से प्रभावित
करती है। मेरे विचार उनलोगों की ओर भी जाते हैं जो शांतिमय स्थान की खोज में अपने परिवार
और पेशेवर जीवन को छोड़कर जाते हैं तथा निर्वासन में होने की त्रासदी का अनुभव करते हैं।
यद्यपि क्षेत्र को प्रभावित कर रही समस्याओं के समाधान की खोज कठिन प्रतीत हो तथापि हम
स्वयं को हिंसा और तनावों के अधीन नहीं छोड़ सकते हैं। संवाद और मेलमिलाप के लिए समर्पण
सब पक्षों के लिए प्राथमिकता हो तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय समर्थन प्रदान करे इस महत्व
के प्रति सचेत होते हुए कि सम्पूर्म विश्व के लिए मध्यपूर्व के क्षेत्र में स्थायी और
दीर्घकालीन शांति के महत्व को समर्थन दे। मेरी लेबनान की प्रेरितिक यात्रा तथा व्यापक
अर्थ में सम्पूर्ण मध्यपूर्व का दौरा, शांति के चिह्न के नीचे रखा गया है- " मेरी शांति
तुम्हें देता हूँ " ईश्वर लेबनान और मध्यपूर्व क्षेत्र को आशीष दें, ईश्वर आप सबको आशीष
दें।
उन्होंने अंग्रेजी भाषियों से कहा- आज यहाँ देवदूत संदेश प्रार्थना के
लिए आये सब अंग्रेजीभाषी तीर्थयात्रियों का मैं सहर्ष स्वागत करता हूँ। विशेष रूप से
संयुक्त राज्य अमरीका के रोम कैम्पस ओफ द यूनिवर्सिटी ओफ मेरी से आये लोगों का। आज के
सुमाचार पाठ में येसु गूँगे बहरे व्यक्ति को चंगा करते हैं। हम प्रार्थना करें कि हमारी
आध्यात्मिक कमजोरियाँ ठीक हो जायें, हमारे कान खुल जायें और प्रभु की जीवन दायी शिक्षा
को ध्यानपूर्वक सुन सकें और हमारी जिह्वा उनपर हमारे विश्वास की घोषणा करे। ईश्वर आपको
आशीष दें।